कार्तिक मास बहुत ही पावन और धार्मिक महीना है। कार्तिक मास में हिंदू धर्म का महान पर्व भी होता है। वैसे तो हमारे देश में हर महीने पर्व मनाये जाते हैं लेकिन कार्तिक मास में विशेष पूजा-पाठ होता है।इसी महीने में दीवाली छठ जैसे महान पर्व मनाये जाते हैं।
कार्तिक मास में ब्रह्म मुहूर्त में नहाने का विशेष महत्व है। वैसे तो हमारे यहां दुर्गा पूजा के साथ ही ब्रह्म मुहूर्त में नहा कर पूजा शुरू कर देते हैं, लेकिन शरद पूर्णिमा के बाद कार्तिक मास का शुभारंभ होता है। कार्तिक मास में स्नान का धार्मिक महत्व ही नहीं वैज्ञानिक दृष्टि में भी एक अलग महत्व है।कार्तिक मास में स्नान का धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक महत्व भी है। वर्षा ऋतु के बाद जब आसमान साफ होता है और सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी तक आती है ऐसे में प्रकृति का वातावरण शरीर के अनुकूल होता है। प्रात:काल उठकर नदी में स्नान करने से ताजी हवा शरीर में स्फूर्ति का संचार करती है। इस प्रकार के वातावरण से कई शारीरिक बीमारियां अपने आप ही समाप्त हो जाती हैं।
आज से कार्तिक मास शुरू हो गई है। मेरे गांव में तो एक भजन मंडली 3 बजे सुबह पुरे गांव का चक्कर लगा कर सीताराम-2 का भजन करते लोगों को जगने के लिए कहते हैं।
कुछ लोग तो इस पुरे महीने गंगा नदी के किनारे रह कर सुबह सुबह स्नान कर तुलसी या आंवला में जल चढ़ाते हैं।इस माह की एकादशी का विशेष महत्व है।इस एकादशी को देवउठनी एकादशी कहते हैं। इसमें विष्णु भगवान 4 महीने नींद से सोने के बाद जगते हैं ।तब मांगलिक कार्य शुरू होता है।
कार्तिक मास में दीपदान का भी महत्व है।कार्तिक मास में दीपदान करने से पाप नष्ट होते हैं। स्कंद पुराण में वर्णित है कि इस मास में जो व्यक्ति मंदिर, नदी के किनारे, तुलसी के समक्ष एवं शयन कक्ष में दीपक जलाता है उसे सब सुख प्राप्त होते हैं। इस मास में भगवान विष्णु एवं लक्ष्मी के निकट दीपक जलाने से अमिट फल प्राप्त होते हैं।
कार्तिक मास में तुलसी के समीप दीपक जलाने से मनुष्य अनंत पुण्य का भागी बनता है। जो तुलसी को पूजता है उसके घर मां लक्ष्मी हमेशा के लिए आ बसती है, क्योंकि तुलसी में साक्षात लक्ष्मी का निवास माना गया है।
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