14 या 15 जनवरी को है मकर संक्रांति जानें, घर पर गाढ़ा और मलाईदार दही जमाने का उपाय पढ़ें

    पहले हर साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति लगभग तय होता था लेकिन इधर कुछ सालों में इस तारीख को लेकर मतभेद हो जाते। कुछ लोगों का कहना है कि 14 जनवरी को है मकर संक्रांति और कुछ लोगों का कहना है कि 15 जनवरी को। इस पोस्ट में जानेंगे कि कब है संक्रांति। 

     अलग अलग राज्यों में संक्रांति अलग अलग नाम से और अलग अलग रूप में मनाया जाता है। जैसे गुजरात में पतंग उड़ा मनाते, पंजाब में आग में नयी फसल डाल कर और खिचड़ी खा कर मनाते हैं।हमारे बिहार झारखंड में दही और चुरा खा मकर संक्रांति मनाई जाती है। तिल का लड्डू, तिलकुट आदि भी खाते लेकिन उत्तर बिहार में दही का इस दिन खास महत्व होता है, इसलिए घर पर गाढ़ा और मलाईदार दही जमाने के उपाय पर भी चर्चा करेंगे। आपको मेरा पोस्ट कैसा लगा कमेंट कर अवश्य बताएं..... मकरसंक्रांति की शुभकामनाएं आप सभी को......


     14 या 15 जनवरी को है मकर संक्रांति जानें....

  जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तब संक्रांति मनाया जाता है।‌ इस साल 2024 में सूर्य 14 जनवरी रात 02.44 में धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश कर रहा है, इसलिए संक्रांति 15 जनवरी सुबह से शुरू होगा। सुर्य दक्षिणायन होते हैं संक्रांति के बाद ही उत्तरायण होते हैं तब शुभ कार्य हमारे यहां शुरू होता है।



    मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त - 15 जनवरी सुबह 7.15 से 9.25 तक हैं। इस शुभ समय में हमारे यहां भगवान को तिल, चावल, गुड़ और तिल से बनी मिठाई, दही, चुरा(पोहा) चढ़ाया जाता है। 


     घर पर गाढ़ा और मलाईदार दही जमाने का उपाय....


      दही किसको पसंद ना हो और वो भी गाढ़ा, थक्के वाली और मलाईदार दही जब हो। लोग दही चीनी, दही चावल, दही रसगुल्ले आदि खाते हैं लेकिन हमारे यहां मिथिलांचल में लगभग सबको दही चुरा सबसे ज्यादा पसंद हैं। हमारे यहां तो लगभग एक समय दही चुरा लोग खाते ही हैं। दही चुरा के साथ सब्जी, गुड़, शक्कर भी खाया जाता है।





     मकरसंक्रांति पर बहुत जगह खिचड़ी, तिल खाने की प्रधानता है लेकिन हमारे यहां दही चुरा मकरसंक्रांति के 10 दिन पहले से 10 दिन बाद तक दही चुरा ही खाते। एकदम खुश होकर खाते ये ना कि कोई दबाव या दुखी मन से और जब दही ऐसा हो कि आप हाथ में लेकर दौड़ जाएं वो बिना सेप बिगाड़े एक जैसा जमा रहे….

    पहले के ज़माने में गांव में आज भी ये प्रचलन है हमारे यहां बेटी या बहू के यहां मकरसंक्रांति में डाला या भार देना। इसमें नयी शादी शुदा बेटी या बहू को 10 किलो चुरा, तिलवा, तिलकुट, लाई जो चावल, मुरही, सफेद तिल और काला  तिल, चावल, गुड़, कपड़े सब भेजा जाता है। दही जमा कर देते हैं पहले गांव का कोई मजदूर सर पर उतना उठाए दुर दुर तक पहुंचाता था बिना दही खराब हुए। अब तो दही का डब्बा भी आ गया लोग इतना मेहनत नहीं करते, लेकिन दही जब खाना है तो ऐसा खाया जाएं.....

      आइए जानते हैं गाढ़ा और मलाईदार दही जमाने का उपाय.....

      सबसे पहले 2-3 किलो भैंस या फूल टोन दूध लें, उसको खुब उबालें जब वो 200-250 ग्राम जल जाएं या हल्का हल्का उसका रंग लाल हो ऐसा आप मिट्टी वाले चुल्हा पर कर सकते या फिर गैस चूल्हा भी ठीक है। अब उस दुध को खुब फेंटे, फेंटने का मतलब उस गर्म दूध को एक बर्तन से दुसरे बर्तन में डालें, फोटो में जैसा दिया गया है।





      एक बात का विशेष ध्यान रखिएगा कि दूध गर्म है अपने शरीर से अलग रखें जलने का डर है, बच्चे को दुर रखिएगा। जब दूध लगातार फेंट रहे होते हैं तो दूध के ऊपर फेन/झाग बनता है, उसको तब तक फेंटे जब तक वो रूम टेंपरेचर पर ना आ जाएं। अब मिट्टी का बर्तन लें उसमें सारा दूध रखें और उसमें दो चम्मच जामन मिला दें। अगर मौसम ठंड का है तो उसको हल्का खत्म हो चुका आग में रख कंबल या मोटे कपड़े से ढक दें या फिर गर्म जगह पर रख दें फिर 20-22 घंटे बाद देखें दही एकदम केक जैसे काटने वाला हो जाएगा।

      आप उस दही को उसके बाद फ्रीज में रखें या ऐसे ही खाएं। बहुत ही सुन्दर और स्वाद से भरा दही होगा। अगर आपको मेरी रेसिपी पसंद आएं तो कमेंट करें सब्सक्राइब करें।फाॅलो करें और आपको क्या पसंद है बताएं, मकरसंक्रांति आप कैसे मनाते हैं वो भी बताएं। आपके यहां मकरसंक्रांति पर क्या खाया जाता कमेंट करें...


     

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