कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त कब है, पूजन विधि जानें

       शारदीय नवरात्र 26 सितंबर से शुरू हो रहा है। यह अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को शुरू हो विजयादशमी तक मनायी जाएगी। नवरात्रि साल में 4 होते हैं दो मुख्य रूप से जिसमें एक चैत्र मास में दूसरा अश्विन मास में मनाया जाता है। दूर्गा पूजा बिहार, झारखंड, बंगाल और उत्तर प्रदेश में बृहत रूप से मनाया जाता है। यहां पंडालों की धूम, माता की मूर्ति, पंडाल की सजावट सब देखते बनती है। नवरात्रि का पहला दिन जिसमें सबसे पहले कलश स्थापना किया जाता है तब माता के नौ रूप की पूजा नौ दिन चलती है।

       कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त ......

   कलश स्थापना 26 सितंबर सोमवार को है। शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 26 सितंबर सुबह 03. 26 से 27 सितंबर सुबह 03.10 तक रहेगा।कलश पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5.39 से 07.13 और 09.03 से 10.26, 11.48 से 12.36 तक रहेगा। शारदीय नवरात्र कब से शुरू हो रहा और माता की सवारी किस पर आएगी


    कलश पूजन के लिए सामग्री....

   कलश पूजन के लिए सामग्री एक दिन पहले ही सब एकत्र कर लें, उस दिन के लिए बस फूल, माला का इंतजाम करें। बाकी सामग्री जैसे मिट्टी का कलश, मिट्टी, गंगा जल, लाल कपड़ा या शालू कपड़ा, नारियल, माता का फोटो, जौ, अक्षत, तिल, धूप, गोयठा (उपले, कंडे), बेलपत्र, पंचमेवा, कमल का फूल, लाल फूल, हल्दी की गांठ, सप्तधान्य, पंचरत्न, नवग्रह लकड़ी, माता का आसन, छोटा चौकी, आम का पत्ता, चन्दन, मौली, सुपारी, पान का पत्ता, दूर्वा, दूध,दही, शहद, घी, दिया, बाती, ब्राह्मण का वस्त्र, अगरबत्ती, श्रृंगार का सामना, माता का चूनर, आदि सब जमा कर लें। दूर्गा पूजा नौ दिन तक होता है सामान उस हिसाब से लें कि नौ दिन तक कोई दिक्कत ना हो।


      कलश स्थापना का पूजन विधि....

   सबसे पहले सुबह स्नान ध्यान कर, पूजा रूम अच्छी तरह पोछ कर साफ़ सुथरा करें। फिर मिट्टी नीचे में 3-4 इंच मोटा लेयर जमा दें। उस पर पानी छिड़क कर कलश अच्छी तरह रख दें। तब पहले आसन, फिर अपने आप को शुद्ध कर गणेश जी का ध्यान करें। मिट्टी पर जौ अच्छी तरह छिड़क दें, जौ को 2-3 घंटे पानी में रखें अच्छा रहता है। फिर कलश पर रोली चंदन से स्वस्तिक बनाएं, कलश के ऊपरी हिस्से पर लाल कपड़ा लपेट कर, रोली बांधे। कलश में गंगा जल,पंचरत्न, सुपारी, दूर्वा और एक सिक्का डालें फिर आम का पत्ता रखें, फिर ढक्कन रख उसपर अरवा चावल भर दें।


      चावल भरे ढक्कन के ऊपर लाल कपड़ा और मौली में बंधा नारियल रखें। फिर माता का ध्यान करें उनको चुनर, आसन दें स्थापित करें। नौ दिन माता के नौ रूप की पूजा का संकल्प लें।कलश के आगे अखंड दीप जलाएं, धूप जलाएं प्रसाद का भोग लगाएं। नित्य कर्म पूजा प्रकाश नाम का किताब आता है आप वो देख कर पूजा कर सकते हैं। माता आप पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें। जय माता दी....

     नौ रूप की पूजा अर्चना विधि, हवन ये सब के बारे में मेरे ब्लॉग में विस्तार से बताया गया है आप पढ़ें और कैसा लगा आपको कमेंट कर अवश्य बताएं....

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