नागपंचमी कब है और जानें साल में बस नागपंचमी के दिन खुलता है ये मंदिर

     सावन माह भगवान शिव का प्रिय माह है, इस मास में भगवान शिव की पूजा के साथ उनके प्रिय नाग देवता की भी पूजा की जाती है। नाग देवता की पूजा सावन के पंचमी तिथि को मनाया जाता है, कुछ क्षेत्रों में यह कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है तो कुछ क्षेत्रों में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को। इस दिन नाग देवता को दूध और धान का लावा चढ़ाया जाता है, नाग मंदिर जिसे बिहारी भाषा में गहबर स्थान भी बोलते हैं वहां विशेष रूप से पूजा किया जाता है। वहां पूजा करने से सांप काटे का झार फूंक कर इलाज भी किया जाता है। आइए जानते हैं नागपंचमी कब है और जानें साल में बस नागपंचमी के दिन कौन सा मंदिर खुलता है....


      नागपंचमी कब है 2022......

    नागपंचमी शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। साल 2022 में नागपंचमी 2 मंगलवार अगस्त को हैं। नागपंचमी पर नाग देवता की पूजा अर्चना अवश्य करनी चाहिए इससे सांप काटे का डर नहीं रहता और कालसर्प योग का प्रभाव भी कम पड़ता है....


       साल में बस नागपंचमी पर खुलता है ये मंदिर.......

       पुरे साल में बस नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा के लिए जो मंदिर खुलता है उसका नाम है - नागचंद्रेश्वर मंदिर, यह उज्जैन मध्यप्रदेश में स्थित है। उज्जैन महाकाल मंदिर के परिसर में स्थित है, इस दिन यहां बहुत भीड़ रहती है। यहां स्वयं तक्षक नाग देवता रहते हैं, माता पार्वती और भगवान शिव फन फैलाए इस नाग देवता पर विराजमान हैं। जहां आप देखें हो हर जगह भगवान विष्णु नाग देवता पर विराजमान हैं लेकिन ये पहला मंदिर है जहां महादेव विराजमान हैं।


     नागचंद्रेश्वर मंदिर की कथा - 

          नागचंद्रेश्वर मंदिर के बारे में - एक पौराणिक कथा के अनुसार एक नाग था जिसका नाम तक्षक था, वो भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था और उनकी पूजा अर्चना करते रहते थे। बहुत साल तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किए तब उन्होंने वरदान में भगवान से अमरत्व मांगा। भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होकर उन्हें अमरता का वरदान दे दिया। लेकिन वो बाबा भोलेनाथ के आसपास ही साधना में लीन रहना चाहते थे तो उज्जैन में महाकाल खुद है हि और उन्हें एकांत में कहीं साधना करना होता है कि कोई उन्हें परेशान न करें।

       इसलिए तब से वो वहीं विराजमान हैं साल में एक दिन नागपंचमी के दिन वो दर्शन देते हैं फिर वो पुरे साल वही साधना करते हैं। यहां के लोग कहते हैं एक बार उनका दर्शन जो कर लिया फिर वो सर्पदोष से मुक्त हो जाता है। नागचंद्रेश्वर मंदिर का पट रात 12 बजे खोल दिया जाता है फिर नागपंचमी के पुरे दिन दर्शन करने के बाद मंदिर बंद कर दिया जाता है। दिन के 12 बजे यहां के कलैक्टर पूजा करते।

      नागचंद्रेश्वर मंदिर की बनावट - 

      यह मंदिर बहुत पुराना है कहा जाता है यह मंदिर राजा भोज 1050 ईस्वी में बनाए थे, उसके बाद सिंधिया महाराज ने 1732 में पुरे मंदिर को पुनः ठीक कराएं। यह मंदिर पांच मंजिला है जिसमें एक जमीन के अंदर है, नागचंद्रेश्वर मंदिर तीसरे मंजिल पर हैं।

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