कार्तिक मास की पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है, हर गंगा या नदी किनारे बहुत भीड़ लगती है। इस बार तो कोरोना के कारण भीड़ तो नहीं लगेगी लेकिन घर पर ही गंगा जल मिलाकर स्नान कर लें। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक जयंती भी मनाई जाती है। इस दिन दान दक्षिणा का भी महत्व है, इस दिन दान करने से दान का कई गुना फल मिलता है। इसलिए इस दिन गर्म कपड़े, खाने पीने का दान अवश्य करें।
कार्तिक पूर्णिमा कब है.....
कार्तिक पूर्णिमा इस बार 30 नवंबर को है। इस बार कार्तिक मास की पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है, लेकिन यह भारत में उतना प्रभाव नहीं डालेगा। यहां आंशिक चंद्रग्रहण है। जिसका कोई खराब प्रभाव नहीं आएगा।
चंद्र ग्रहण दिन में 1 बजकर पांच मिनट से शुरू होगा और शाम 5 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी। चुंकि भारत में इसका कोई प्रभाव नहीं है इसलिए आप पूजा पाठ आदि सब कर सकते। मंदिर भी सभी खुलें रहेंगे।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन आप गुड़, चना, मूंग, चावल, गेंहू या कोई भी अनाज, गर्म कपड़े आदि दान कर सकते हैं। इस दिन को देव दीपावली भी मनाया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा में सत्य नारायण कथा भी करवा सकते हैं।
भगवान शिव कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही त्रिपुरासुर नामक तीन असुर भाइयों का संहार किया था, इसलिए इस दिन पुरी दीवाली के जैसे मनाते हैं। इसलिए इस दिन भगवान शिव का पूजन, अभिषेक के लिए शुभ माना जाता है। इस बार और सोमवार दिन पड़ने के कारण इस पूर्णिमा भगवान शिव के पूजा करना लाभकारी सिद्ध होगा।
कार्तिक मास के महत्व इस कारण भी है कि इसी दिन माता तुलसी का आगमन धरती पर हुआ था। इसी दिन भगवान विष्णु ने वैदों की रक्षा के लिए मत्सयावतार लिया था।यह महीना स्नान, जप, ध्यान, धर्म कार्य, अनुष्ठान आदि सब का महीना है। अगर किसी कारण आप आप पुरे महीना पूजा पाठ ना भी कर पाए तो इस दिन एक दिन भगवद्गीता पाठ, विष्णुसहस्त्रनाम, अष्टजाम, रामायण ये सब पाठ कर अपना पूण्य का भागी बन सकते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा पर करें ये उपाय.....
* कार्तिक पूर्णिमा पर शिव मंदिर में ऊं नमः शिवाय जाप करते हुए, शिवलिंग पर शहद, गंगाजल, दूध और अक्षत से अभिषेक करें।
* कार्तिक पूर्णिमा के दिन किसी नदी, तालाब, घर के द्वार पर, तुलसी के पौधे के नीचे, इष्ट देव के सामने दीपक अवश्य जलाएं।
* कार्तिक पूर्णिमा पर ये उपाय करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं इस दिन सुर्योदय से पूर्व पीपल के वृक्ष में दूध और जल चढ़ाने चाहिए।
* माता लक्ष्मी को खीर मावा और मिश्री वाली बना कर भोग लगाएं।
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