साल का सबसे शुभ फल दायी एकादशी देव उठनी एकादशी को ही माना जाता है। यह कार्तिक मास शुक्ल पक्ष एकादशी को कहते हैं। इस भगवान विष्णु अपने चार माह की नींद के बाद जगते हैं। गुरु पूर्णिमा आशाढ़ मास में क्षीर सागर में भगवान चार माह के लिए सोने जाते हैं, इन चार माह में सभी धार्मिक कार्य शादी, विवाह, कोई भी शुभ कार्य नहीं होता है, बीच में एक बार भादों मास के एकादशी को भगवान करवट बदलते हैं फिर देव उठनी एकादशी के दिन ही भगवान निद्रा से जागते हैं।
देव उठनी एकादशी कब है
देव उठनी एकादशी 4 नवंबर शुक्रवार, देव उठनी एकादशी 3 नवंबर गुरूवार शाम 7.30 से शुरू 4 नवंबर 06.08 तक है। देवोत्थान एकादशी के बाद शादी विवाह फिर शुरू हो जाता है लेकिन इस बार शुक्र ग्रह अस्त होने के कारण शुभ विवाह, उपनयन आदि 24 नवंबर से शुरू हो । फिर 17 दिसंबर से खरमास फिर शुरू हो जाएगा जिसमें सभी मांगलिक कार्य फिर बंद रहेंगे। जो 15 जनवरी 2023 तक रहेगा।
तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त और महत्व जानें
देव उठनी एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी, तुलसी विवाह, देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन तुलसी विवाह का बहुत महत्व है।
पूजन विधि-
देव उठनी एकादशी के दिन पुरा दिन उपवास करना चाहिए। अगर उपवास नहीं करते हैं तो इस दिन चावल, लहसुन, प्याज, मांस आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। पूजा करने के लिए इस दिन आंगन में लगे तुलसी के सामने गन्ने का मंडप सजा कर, उसमें भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित किया जाता है। फिर उस पर तुलसी, गंगा जल, केला, पीला फल, पीला फूल, नैवेद्य, मूली, सिंघारा, आंवला, पेड़ा, बेसन का लड्डू, बैर, आदि तरह के ऋतु फल चढ़ाएं।
तुलसी के सामने घी के दीपक जलाएं। इस दिन छोटी दिवाली भी मनाया जाता है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और अगल बगल के क्षेत्रों में दिवाली से ज्यादा इस दिन का महत्व है। इस दिन पुरे घर को जगमगाते है।
तुलसी विवाह पर दांपत्य जीवन सुखी रखने के लिए ये उपाय करें
देव उठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का दूध से अभिषेक करें। विष्णु सहस्रनाम पाठ या ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करें।
0 Comments