हर्ड इम्यूनिटी क्या‌ है, कोरोना काल में इसका महत्व जानें

     कोरोना काल में आप सब ने ‌एक सुना होगा हर्ड इम्यूनिटी।
अभी पुरे दुनिया में कोरोना वायरस ने खलबली मचा रखी है इससे साढ़े तीन लाख लोगों की मौत अब तक हो चुकी है। अकेले भारत में कोरोना के डेढ़ लाख केस है अब तक जिसमें लगभग 5000 लोग मरे है भारत में मरने वालों की संख्या कम है वहीं अमेरिका में इससे अब तक 1 लाख तक लोग मर गए हैं।

‌     भारत सहित अन्य देशों ने कोरोना कंट्रोल करने के लिए लाॅक डाॅउन का रास्ता चुना, लेकिन आखिर कब तक आप सब कुछ बंद कर रख सकते हैं काम ना करेंगे तो खाएंगे क्या‌, भूखे मरने वाली स्थति आ गई। कुछ लोग लाॅक डाॅउन के समर्थन में हैं लेकिन कुछ लोगों का मानना है सब कुछ खोल दिया जाए सब लोग बाहर निकले हर्ड इम्यूनिटी से बचने के चांस ज्यादा है। ये हर्ड इम्यूनिटी की राय बड़े बड़े वैज्ञानिक भी दे रहे। अब‌ ये हर्ड इम्यूनिटी क्या है इसका महत्व क्या है ‌वो‌ इस पोस्ट में हम आपको बताते हैं...



      हर्ड इम्यूनिटी क्या है....

    कोरोना काल में जो लाॅॅक डाॅउन का रास्ता अपना रहे हैं सही है लेकिन जब ये लोग‌ घर से बाहर निकलेंगे तब, तब क्या होगा। फिर वो सब संक्रमित हो जाएंगे। कोरोना कोई चोर तो है नहीं कि चलो 10 दिन इधर घुमा कोई हाथ ना लगा तो छोड़ो चलते हैं। इसलिए सब लोग अगर बाहर निकल जाते हर कोई कोरोना संक्रमित होगा तो शरीर खुद ब खुद इससे लड़ने की क्षमता पैदा करेगी। और कोरोना से जीत जाएगी हां इसमें कुछ हारने के भी चांस हो‌ सकते हैं।



      हर्ड इम्यूनिटी तब ज्यादा काम करती है जब इस‌ बिमारी से लड़ना की क्षमता का वैक्सीन बहुत लोगों को दे दिया जाए तो बाकी कुछ लोगों में महामारी फैलने की संभावना कम हो जाती है। जब एक तिहाई हिस्सा किसी महामारी के वैक्सीन से खुद को मजबूत बना लेती है तो कुछ को वैक्सीन ना भी लगे तो बाकी लोगों का इम्युनिटी मजबूत कर लेता। वो हर्ड इम्यूनिटी या सामुहिक प्रतिरोधक क्षमता कहलाता है।

      हर्ड इम्यूनिटी की बात करें तो ये पुरी तरह सही नही कही जा सकती है जैसे अमेरिका या ब्रिटेन देश का हाल देखिए वहां कितना लोग मरे है जिसका कारण बस एक‌ है वहां लाॅक डाॅउन को फाॅलो नहीं किया गया। ये हर्ड इम्यूनिटी बनने में बहुत समय लगता है जब तक की आपकी आबादी का 65% लोग कोरोना पीड़ित ना हो जाए ये हर्ड इम्यूनिटी ना बनेगा।

      भारत में कोरोना का तबाही देखा जाए तो यहां कोरोना वायरस का असर उन लोगों पर हुआ है जो ज्यादा गंभीर रूप से बिमार‌ है यहां ठीक होने की संख्या ज्यादा है। भारतीय खान पान यहां के तेल मसाले के कारण यहां के शरीर की इम्युनिटी ज्यादा है जिस कारण यहां मरने ‌वालों की संख्या दुसरे देशों की तुलना कम है।

     भारत में हर्ड इम्यूनिटी अगर लाना‌ है तो पहले चीनी या गंभीर रूप से बिमार‌ लोगों, बच्चों और बुजुर्गो को सेफ रखना होगा। हर्ड इम्यूनिटी के बाबजूद भी लोगों को एतिहात बरतना होगा, सोशल डिसटेंशिंग, बार‌ बार‌ हाथ धोते रहना‌ ये सब तो‌ मानना होगा।

     लाॅक डाॅउन बहुत लंबे समय तक कोई विकल्प तो नहीं है उस पर भारत जैसे बहुत जनसंख्या वाले देश के लिए जहां आम दिन तो आदमी भूख से मरता है और जब लगातार सब कुछ बंद रहे तो और भूखमरी होगी। कोरोना से कम भूख से ज्यादा मरंगे। इसलिए अगर इसको हम सब कुछ खोल दें तो यहां के युवाओं में संक्रमण की संख्या बढ़ जाएगी लेकिन यह सामुहिक प्रतिरोधक क्षमता विकास कर लेगा। इससे भारत का एक वर्ग अगर सही हो जाता तो बुजुर्ग और बच्चे को भी खतरा से दूर रख सकता है।
      

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