अभी सड़कों पर जब निकलते हैं तो हजारों हजार की संख्या में सड़क पर पैदल ही निकल पड़े है। पेट में बच्चा, गोद में छोटा बच्चा, कोई सर पर लादे, कोई बैग में बच्चें को सुला बैग खींच रहे, छोटे छोटे बच्चों को पैदल चला रहे , भूख प्यास से ना जाने क्या हाल हो रहा होगा। ऐसी दर्दनाक तस्वीर अभी हर न्यूज़ चैनल, हर सोशल मीडिया पर देख के दिल में एक दर्द उठता है आखिर है कौन ये....
ये मजदूर जो ना जाने कितने इमारतों को अपना खून पसीना बहा कर खड़ा किए आज इनको खड़ा रहने लायक कोई राज्य जगह नहीं दे पाया। कोरोना वायरस का सच है कि वो जान लेगी लेकिन क्या सरकार की, हमारी आपकी आत्मा धिक्कार ना रही उन मजदूरों की बेबसी देख कर।
हम सारा दोष सरकार पर मढ़ रहे उन्होंने इंतजाम नहीं किया। जब आपके फैक्ट्रियों में काम कर आपको फायदा पहुंचाते, जब आकाश जैसे ऊंची ऊंची इमारतों में बिना अपनी सुरक्षा के परवाह किए मजदूरी करते रहते तब क्या सरकार को कहने जाते हैं। अभी कुछ महीने अपना लाभ छोड़ उनका खाना रहना कर दें तो आपका बूरा ना होगा, ऊपर वाला भी आपको देखेगा।
इस हालात में भी लोग गरीब की बेबसी का फायदा उठाने से बाज ना आ रहे, एक बस या ट्रक किराया पर करते तो उसमें लाख डेढ़ लाख तक भाड़ा उसूल रहे। क्या इंसानियत इतनी मर गई कि इस समय भी हम उन गरीबों की मदद नहीं कर सकते।
ये गरीब तो भूख की मार के कारण भटक रहे, सबसे ज्यादा मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, बंगाल, तेलंगाना आदि शहरों से हैं। यही मजदूर अगर जाना बंद कर दें तो ना आपके फैक्टिरियो में उत्पादन होगा ना आपके फ्लैट बनेंगे।
लोग बाहर क्यों जाते हैं क्योंकि भूख उन्हें यहां जीने नहीं देती। बिहार की बात करें तो यहां जब कोई कंपनी अपना प्लांट लगाना चाहती है तो सबसे पहले यहां के दबंग अपना हिस्सा मांगते, कुछ दबंगों के कारण यहां विकास नहीं होता यहां सरकार की गलती है वो उन दबंगों को क्यों ना गंभीरता से लेती, उसके खिलाफ क्यों ना कारवाई करती।
अभी आए दिन न्यूज आती सड़क पर मजदूरों की ना जाने कितनी जान गई। सड़क पर जब सभी गाड़ी बंद है तो कैसे इतना एक्सीडेंट हो रहा, सरकार की गलती यहां है। पुलिस पैसे ले पार करा रही सरकार की गलती है। लेकिन सबसे पहले गलती हमारी है हम जहां है वहां रूक सरकार से, सोशल मीडिया से हमारा अधिकार मांगना होगा, यूं चल कर कब तक मरते रहेंगे। घर आ के भी क्या होगा फिर दो महीने बाद यहां भूख से मरेंगे फिर वहीं जाना ही होगा।
ये सब मेरी खुद की राय है, हो सकता मैं ग़लत हुं...
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