आश्विन मास के नवरात्र 29 सितंबर से शुरू हो रहा है। नवरात्रि हिंदूओं का सबसे बड़ा पर्व है। इसमें नौ दिन माता के नौ रूपों को पूजा किया जाता है। नवरात्रि पुरे भारत में मनाया जाता है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना किया जाता है। इसी दिन से व्रत का संकल्प लेते हैं नौ दिन पूजा करने का। आइए कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त जानें.....
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 16 मिनट से 7 बजकर 40 मिनट तक है। दिन में भी कलश स्थापना का मुहुर्त अच्छा है, दिन में 11.48 से 12.35 तक है।
कलश स्थापना में हमेशा किसी नदी या तालाब की मिट्टी का उपयोग करना चाहिए। शुभ मुहूर्त देखकर कलश स्थापना किया जाता है। साफ सुथरी मिट्टी रखकर उसपर मिट्टी का घड़ा अच्छी तरह बैठाना चाहिए कि वो नौ दिन उसी तरह रहे। उसमें गंगा जल भरा जाता है अगर गंगा जल नहीं है तो किसी नदी या कुआं का पानी ले सकते हैं।
पूजा के कमरे को कलश स्थापना के सुबह अच्छी तरह धो पोंछ लेना चाहिए। आजकल हर घर पक्की या टाइल्स का होता तो मिट्टी की परत मोटी रखनी चाहिए जिससे कलश में कोई दिक्कत न हो। और मिट्टी में जो जौ उगते हैं अच्छी तरह उगे।
कलश कभी खाली नहीं रखना चाहिए, उसमें जल के साथ सिक्के, सुपारी और आम या अशोक का पत्ता डाल देना चाहिए। कलश के नीचे चावल भी रखना चाहिए। कलश में ऊं या स्वस्तिक का निशान बना दें। कलश को ढकने के लिए अगर ढक्कन का इस्तेमाल कर रहे तो उसमें कोई भी अनाज भर दें। कलश एक बार स्थापित हो जाए पुरे विधि विधान से तो उसको विसर्जन के पहले बिल्कुल नहीं हिलना चाहिए।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 16 मिनट से 7 बजकर 40 मिनट तक है। दिन में भी कलश स्थापना का मुहुर्त अच्छा है, दिन में 11.48 से 12.35 तक है।
कलश स्थापना में हमेशा किसी नदी या तालाब की मिट्टी का उपयोग करना चाहिए। शुभ मुहूर्त देखकर कलश स्थापना किया जाता है। साफ सुथरी मिट्टी रखकर उसपर मिट्टी का घड़ा अच्छी तरह बैठाना चाहिए कि वो नौ दिन उसी तरह रहे। उसमें गंगा जल भरा जाता है अगर गंगा जल नहीं है तो किसी नदी या कुआं का पानी ले सकते हैं।
पूजा के कमरे को कलश स्थापना के सुबह अच्छी तरह धो पोंछ लेना चाहिए। आजकल हर घर पक्की या टाइल्स का होता तो मिट्टी की परत मोटी रखनी चाहिए जिससे कलश में कोई दिक्कत न हो। और मिट्टी में जो जौ उगते हैं अच्छी तरह उगे।
कलश किस दिशा में होना चाहिए और कलश स्थापना की विधि जानें.....
वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा हमेंशा ईशान कोण में शुभ होता है। ईशान कोण मतलब पूर्व और उत्तर का कोना। कोई भी धार्मिक कार्य इसी कोना में होना चाहिए। इसलिए कलश भी इस कोना में बैठाए तो अच्छा है। लेकिन अगर आपको जगह का दिक्कत हो तो आप पूर्व या उत्तर दिशा में कलश स्थापित कर सकते हैं।
कलश कभी खाली नहीं रखना चाहिए, उसमें जल के साथ सिक्के, सुपारी और आम या अशोक का पत्ता डाल देना चाहिए। कलश के नीचे चावल भी रखना चाहिए। कलश में ऊं या स्वस्तिक का निशान बना दें। कलश को ढकने के लिए अगर ढक्कन का इस्तेमाल कर रहे तो उसमें कोई भी अनाज भर दें। कलश एक बार स्थापित हो जाए पुरे विधि विधान से तो उसको विसर्जन के पहले बिल्कुल नहीं हिलना चाहिए।
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