अंधविश्वास और उनके पीछे की संभावित सच्चाई

        अंधविश्वास मतलब आंख बंद कर विश्वास करना। हमारे समाज में आज‌ भी‌ बहुत ऐसे लोग हैं जिन्हें टोने-टोटके पर भरोसा है। बीमार पड़ने पर ‌‌‌लोग आज भी ‌‌‌डाक्टर के बजाय बाबा के पास जाना पसंद करते। आज जब भारत चांद पर पड़ चन्द्रयान 2 जैसे रडार भेज रहा लेकिन फिर भी लोग यहां अभी बिल्ली के रास्ता काटने से रुक जाते। छींक आ जाती तो अवशकुन मानते। अंधविश्वास हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन गया है इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण भी जानें।

     आज भी लोग अपनी कामनाओं की पूर्ति के लिए बच्चों की‌ बलि देने में ना चुकते। आए दिन अखबारों में हम पढ़ते हैं कि बाबा, पंडित ने अंधविश्वास के चक्कर में बच्चों की बलि चढ़ाई। या फिर महिलाओं को अंधविश्वास के नाम पर दुर्व्यवहार किया। अंधविश्वास खाली भारत में ही नहीं विदेशों में भी खुब होता है। आइए कुछ अंधविश्वास के बारे में जानें और उनके पीछे के‌ संभावित सच्चाई....

    * घर से निकलते समय दही चीनी खाना- हमारे पुरखों ने ये नियम इसलिए बनाया कि दही ाने के बाद दिमाग को ठंडक पहुंचाता और जिस काम के लिए जा रहे वो ठंडे दिमाग से करने से सभी होगा। उसमें चीनी मिलाने के बाद शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बराबर रखता तोकाम करने में तन और मन शांत रहता, काम अच्छा जाता। लेकिन हमलोग अंधविश्वास मानते हैं कि दही चीनी खाने से शुभ फल प्राप्त होता है।
   * उत्तर की तरफ सर करके सोना- कहा जाता है कि उत्तर की तरफ सर करके सोने से आदमी बीमार होता है। हमारे पुरखों को मानव शरीर और चुंबकीय क्षेत्र के बारे में पता था। पृथ्वी एक चुम्बकीय क्षेत्र है जिसमें हमेशा दक्षिण से उत्तर की ओर चुम्बकीय धारा प्रवाहित होती रहती है। दक्षिण की तरफ सर करके सोने से यह सर से होते हुए पैर तक जाता है लेकिन जब उत्तर की तरफ सर करके सोते हैं तो यह विपरीत असर करता जिससे हर दर्द, बीपी हो सकती है।
    * बिल्ली का रास्ता काटना - जब हम कहीं सफर पर जाते हैं तो अगर बिल्ली रास्ता काट दे तो रुक जाते।‌ पहले के जमाने में गाड़ी था नहीं लोग घोड़े या बैलगाड़ी से सफर करते। रात के समय जब सफर करते थे तो जब कभी बिल्ली रास्ता काट देती तो बैल या घोड़े बिल्ली की आंखों की चमक से डर जाते थे। और विदक जाते बहुत बार सवार गिर‌ जाते थे इसलिए बिल्ली के रास्ते काटने पर रुक जाते थे।
    * शव जलाने के बाद स्नान करना - जब हम शवदाह करने जाते हैं तो मान्यता है कि वहां से आकर नहाना‌ चाहिए।‌ हमारे पुरखों ने ये इसलिए किया कि जब शव जलता है तो बहुत सारे वैक्टिरिया जन्म लेते जो जल्द दुसरे के शरीर में चल जाते इसलिए शवदाह करके आने के बाद अच्छी तरह स्नान करना चाहिए।
    * नदी में सिक्का फेंकना - कहते हैं नदी में सिक्का फेंकने से शुभ समाचार प्राप्त होता है। पहले के जमाने में सिक्के तांबे के होते थे जो पानी में फेंकने पर पानी शुद्ध होता था। लेकिन अब निकेल का होता जिसे फेंकने से कोई फायदा नहीं होगा।
 

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