जीवित्पुत्रिका व्रत को लेकर बहुत असमंजस, जानें 21 सितंबर को होगा या 22 सितंबर को

      जीवित्पुत्रिका व्रत पुत्र की लंबी उम्र के लिए किया जाता है। माताएं अपने बच्चों के लिए पुरा दिन निर्जल उपवास करती है। यह आश्विन मास के कृष्ण पक्ष के अष्टमी तिथि को किया जाता है। इस बार इस व्रत को लेकर बहुत असमंजस है कुछ लोग कह रहे 21 सितंबर को है और कुछ लोग कह रहे 22 सितंबर को है।


     इस व्रत में सप्तमी को नहाय-खाय होता है। जिसमें आप सबकुछ खा सकते हैं। नमक मीठा का मतलब नहीं होता। दुसरे दिन उपवास करते जिसमें बिल्कुल निर्जला रहता मतलब अष्टमी तिथि को, फिर नवमी के दिन पारण होता मतलब आप खा सकते हैं।

    21 सितंबर को व्रत करने वाले को 33 घंटा उपवास करना पड़ रहा है जबकि 22 सितंबर को जो व्रत कर रहे उनको 24 घंटे। ऐसा इसलिए हो रहा है कि अष्टमी तिथि इस बार 21 सितंबर को दिन में 3.43 बजे प्रवेश कर जाती है और 22 सितंबर को दिन में 2.49 में निकल जाती है।

    यहां दो मत मानने वाले लोग हैं एक जो सुर्योदय सिद्धांत को मानते हैं दुसरे चंद्रोदय सिद्धांत। दोनो अपने जगह सही है। सूर्योदय सिद्धांत के अनुसार हम कोई व्रत सुर्योदय से सूर्योदय रखते हैं। उसके अनुसार 21 सितंबर को नहाय-खाय कर 22 सितंबर को व्रत कर सुबह में ओठगन भी कर सकते हैं जिसमें दही चुरा, फल, दुध, पान कुछ भी खा सकते हैं। फिर 23 सितंबर को नवमी में पारण कर सकते हैं। ये एक पंडित जी के कहे अनुसार है।

   ‌ मेरा मत है कि 20 को नहाय-खाय कर, 21 को दिन में 3 बजे तक पानी शरबत या फल का जूस पी कर 3 बजे से निर्जल उपवास बिल्कुल फिर 22 को 3 बजे के बाद पारण कर लिया जाए। क्योंकि जीतिया मुख्यतः अष्टमी का व्रत है। तो अष्टमी के अलावे क्यू उपवास करना। पारण तो नवमी तिथि में ही हो रहा। 22 को नहाय-खाय करने में हम अष्टमी तिथि में ही खा पी रहे।

    वैसे जो जहां के हैं वहां के अनुसार पूजा या उपवास करें। अपने पुरोहित से विचार कर लें।

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