आज सुहागन महिलाओं का सबसे बड़ा पर्व तीज है। आज पुरे दिन बिना पानी, बिना खाना के बिताएंगे। 24 घंटे निर्जल रहना है, माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा अर्चना करेंगे। वरदान में अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन मांगेगी। हरियाली तीज सुहागन महिलाओं के साथ कुंवारी लड़की भी सुंदर और सौम्य वर पाने के लिए व्रत रखती है।
हरियाली तीज में सुबह से ही तैयारी शुरू कर देते हैं। आज यानी 2 सितंबर को हरतालिका तीज व्रत है। 3 बजे सुबह उठकर कुछ फल या पानी ग्रहण कर लें, ताकी दिन में कुछ ठीक रहे आप। फिर दिन में नयी साड़ी, सिंदुर, मेंहदी, सोलहों श्रृंगार कर किसी शिव मंदिर में तीज की कथा सुने, और पूजा करें।
हरियाली तीज में सुबह से ही तैयारी शुरू कर देते हैं। आज यानी 2 सितंबर को हरतालिका तीज व्रत है। 3 बजे सुबह उठकर कुछ फल या पानी ग्रहण कर लें, ताकी दिन में कुछ ठीक रहे आप। फिर दिन में नयी साड़ी, सिंदुर, मेंहदी, सोलहों श्रृंगार कर किसी शिव मंदिर में तीज की कथा सुने, और पूजा करें।
हरतालिका तीज की कथा....
माता पार्वती ने 12 वर्ष तक बिना भोजन, बिना पानी के हिमालय की गोद में मां गंगा के किनारे तप किया। वो पत्ते बस खा जी रही थी। कंपा देने वाली ठंड हो, या आग उगलने वाली धूप वो तप ना छोड़ी। माता बस भगवान शिव को पाने की इच्छा ले व्रत कर रही थी।
नारद जी उनका तप देख कर, पर्वत राज हिमालय के पास गए और बोले - हे हिमालय आपकी पुत्री की तपस्या से प्रसन्न हो, भगवान विष्णु शादी का प्रस्ताव रखा है। आप हां कहे तो भगवान विष्णु शादी के लिए तैयार हैं। हिमालय तो खुशी से फूले न समाए, उन्होंने तुरंत हां कर दी।
जब माता पार्वती को पता चला तो वो बहुत दुखी हुए। वो तो भगवान शिव के लिए तप कर रही थी।उनकी सखियों ने उनको ऐसा देख कारण पुछा तो वो सारी बात बताई। तब सखियां उनको छुपा के घने जंगलों में ले गए। माता ने वहां पुरा दिन निर्जल उपवास कर, भगवान शिव की स्थापना कर पुरे विधि विधान से पूजा की।
रात भर जागरण किए। सुबह पारण कर पूजा में उपयुक्त सभी चीजों को गंगा में प्रवाहित किया। भगवान शिव इनकी पूजा से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया, उनकी मनोकामना पूरी हो। तब तक पर्वतराज हिमालय पुत्री को ढुंढते हुए यहां पहुंचे, उन्होंने माता पार्वती से ऐसा करने का कारण पूछा तो उन्होंने सारी बात बताई। हिमालय ने क्षमा मांगा और भगवान शिव से शादी करने का वचन दिया।
जिस दिन माता पार्वती ने ये व्रत किया वो भादो मास कृष्ण पक्ष का तृतीय तिथि और हस्त नक्षत्र था। तब से सुहागन स्त्रियों और कुंवारी लड़की ये व्रत अपने मनचाहे पति और पति के लंबी उम्र के लिए करती है।
नारद जी उनका तप देख कर, पर्वत राज हिमालय के पास गए और बोले - हे हिमालय आपकी पुत्री की तपस्या से प्रसन्न हो, भगवान विष्णु शादी का प्रस्ताव रखा है। आप हां कहे तो भगवान विष्णु शादी के लिए तैयार हैं। हिमालय तो खुशी से फूले न समाए, उन्होंने तुरंत हां कर दी।
जब माता पार्वती को पता चला तो वो बहुत दुखी हुए। वो तो भगवान शिव के लिए तप कर रही थी।उनकी सखियों ने उनको ऐसा देख कारण पुछा तो वो सारी बात बताई। तब सखियां उनको छुपा के घने जंगलों में ले गए। माता ने वहां पुरा दिन निर्जल उपवास कर, भगवान शिव की स्थापना कर पुरे विधि विधान से पूजा की।
रात भर जागरण किए। सुबह पारण कर पूजा में उपयुक्त सभी चीजों को गंगा में प्रवाहित किया। भगवान शिव इनकी पूजा से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया, उनकी मनोकामना पूरी हो। तब तक पर्वतराज हिमालय पुत्री को ढुंढते हुए यहां पहुंचे, उन्होंने माता पार्वती से ऐसा करने का कारण पूछा तो उन्होंने सारी बात बताई। हिमालय ने क्षमा मांगा और भगवान शिव से शादी करने का वचन दिया।
जिस दिन माता पार्वती ने ये व्रत किया वो भादो मास कृष्ण पक्ष का तृतीय तिथि और हस्त नक्षत्र था। तब से सुहागन स्त्रियों और कुंवारी लड़की ये व्रत अपने मनचाहे पति और पति के लंबी उम्र के लिए करती है।
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