आजकल गर्मी छुट्टी चल रही,हम लोग अपने घर बेगुसराय आये। यहां पता चला कि 23 से नौला गांव, बीरपुर प्रखंड, भगवानपुर थाना में यज्ञ हो रहा। नौला से तो हमारा बचपन का रिश्ता रहा है। वहीं बगल में हमारा नानी घर भीठ है। हर गर्मी छुट्टी में वहां जाते थे। वहां का नदी, सुलीस गेट, आम का बगीचा सब जैसे आंखों के सामने आ गया। सब भाई बहन खुब मस्ती करते थे। इस बार जाने का संयोग से मौका मिला।
नौला में हनुमानजी का मेला लगता था। वहां भी मामु के साथ घुमने जाते थे। यज्ञ का नाम सुनते ही जानें का प्लान बन गया , सालों से गये नहीं थे। यज्ञ में शायद पहले वाली बात तो ना रही, लेकिन नानी घर भला कौन ना जाना चाहे। गये तो बहुत सुंदर सब कुछ था। बर्फ का गोला, आइसक्रीम,
जलेबी, मुरही, झिल्ली, पकौड़े ,कचड़ी, गोलगप्पे शहर के हाइजिन और साफ सुथरा छोड़ हम तो जलेबी पर टुट पड़े। बच्चों ने झुला इंजाय किया।
एक बार विनोदपुर(बिनपुर) में यज्ञ हो रहा था। उस समय तो मां अपनी बेटी के यहां आती नहीं थी।हम उस समय 5-6 साल के रहे होंगे,हल्का हल्का याद है मेरी भी नानी आई थी हम लोग सब गये थे मिलने। मेरे पिताजी 8 भाई हैं,सब चाची की मां आई थी एक एककर सब गये थे। झुला, यज्ञ की परिक्रमा, कथा थोड़ा थोड़ा याद है। अगर आप भी उस यज्ञ में शामिल थे तो बताइएगा जरूर।
यज्ञ- यज्ञ का प्रचलन वैदिक काल से है।बिना यज्ञ के वेदों की चर्चा कहां। वैदिक काल में यज्ञ की बहुत महत्ता थी। यज्ञ देव- असुर सब करते थे,सब अपने कामना की पूर्ति के लिए यज्ञ आहुति करते थे। उसमें घी से बहुत सारे सामग्री की आहुति पड़ती है। यज्ञ करने से वातावरण शुद्ध होता है। उसमें दिए गए सामग्री जब यज्ञ अग्नि में जाती है तब सूक्ष्मीभूत होकर वातावरण में व्याप्त हो जाती है और जब मनुष्य इस वातावरण में सांस लेता है तो यह हमारे शरीर को स्वास्थ लाभ प्रदान करता है। यह हमारे मन को भी शुद्ध करता है।
यज्ञ की महिमा अनंत है।यज्ञ से आयु, आरोग्यता, तेजीस्वीता, वंशवृद्धि, धन-धान्य, राजभोग, यश, पराक्रम, ऐश्वर्या लौकिक और पारलौकिक वस्तु की प्राप्ति होती है। पहले तो यज्ञ बहुत होता था ।आज कल बस डिज्नीलैंड जैसे मेले ज्यादा लगते।
नौला में हनुमानजी का मेला लगता था। वहां भी मामु के साथ घुमने जाते थे। यज्ञ का नाम सुनते ही जानें का प्लान बन गया , सालों से गये नहीं थे। यज्ञ में शायद पहले वाली बात तो ना रही, लेकिन नानी घर भला कौन ना जाना चाहे। गये तो बहुत सुंदर सब कुछ था। बर्फ का गोला, आइसक्रीम,
जलेबी, मुरही, झिल्ली, पकौड़े ,कचड़ी, गोलगप्पे शहर के हाइजिन और साफ सुथरा छोड़ हम तो जलेबी पर टुट पड़े। बच्चों ने झुला इंजाय किया।
एक बार विनोदपुर(बिनपुर) में यज्ञ हो रहा था। उस समय तो मां अपनी बेटी के यहां आती नहीं थी।हम उस समय 5-6 साल के रहे होंगे,हल्का हल्का याद है मेरी भी नानी आई थी हम लोग सब गये थे मिलने। मेरे पिताजी 8 भाई हैं,सब चाची की मां आई थी एक एककर सब गये थे। झुला, यज्ञ की परिक्रमा, कथा थोड़ा थोड़ा याद है। अगर आप भी उस यज्ञ में शामिल थे तो बताइएगा जरूर।
यज्ञ- यज्ञ का प्रचलन वैदिक काल से है।बिना यज्ञ के वेदों की चर्चा कहां। वैदिक काल में यज्ञ की बहुत महत्ता थी। यज्ञ देव- असुर सब करते थे,सब अपने कामना की पूर्ति के लिए यज्ञ आहुति करते थे। उसमें घी से बहुत सारे सामग्री की आहुति पड़ती है। यज्ञ करने से वातावरण शुद्ध होता है। उसमें दिए गए सामग्री जब यज्ञ अग्नि में जाती है तब सूक्ष्मीभूत होकर वातावरण में व्याप्त हो जाती है और जब मनुष्य इस वातावरण में सांस लेता है तो यह हमारे शरीर को स्वास्थ लाभ प्रदान करता है। यह हमारे मन को भी शुद्ध करता है।
यज्ञ की महिमा अनंत है।यज्ञ से आयु, आरोग्यता, तेजीस्वीता, वंशवृद्धि, धन-धान्य, राजभोग, यश, पराक्रम, ऐश्वर्या लौकिक और पारलौकिक वस्तु की प्राप्ति होती है। पहले तो यज्ञ बहुत होता था ।आज कल बस डिज्नीलैंड जैसे मेले ज्यादा लगते।
नौला के बारे में....
यह गांव बहुत शांत है। यहां के लोगों का मुख्य कमाई खेती और पशुपालन है। यहां बैती नदी, हनुमान मंदिर, ब्रह्मस्थान, गहबर, नागपंचमी, सालों पुराना राम जानकी ठाकुरबाड़ी है। एक दैत्य द्वारा बना कुंआ बहुत फेमस है। बजरंग बली का मेला हर फाल्गुन मास में लगता है जहां कुश्ती आज भी होती है। यहां पर खुदाई में पुरातत्व विभाग का खुदाई में समान निकला। पाल वंश का किला राजा नल का महल 2 किलोमीटर में फैला है।
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