नहाय-खाय के साथ ही शुरू हुआ आस्था का महापर्व छठ

       छठ पूजा साल में दो बार होता है।एक कार्तिक मास में और एक चैत्र मास में दुर्गा पूजा के समय। यह बिहार, बंगाल उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। यह चैत्र नवरात्रि के चौथे पूजा से शुरू होता है और सप्तमी के दिन खत्म होता है। चौथे पूजा के दिन नहाय खाय जिसमे अरवा चावल , चना दाल और कद्दु की सब्जी प्रसाद रूप में खाते हैं। जो बहुत नियम निष्ठा से मिट्टी के चूल्हे पर बनाया जाता है। 9 अप्रैल को कद्दु भात था।


10 अप्रैल को छठ पूजा का दुसरा दिन है। आज के दिन खरना‌ होता है। इस दिन व्रती पुरा दिन भुखे रह कर रात में खीर और फल खाते हैं। खीर को मिट्टी के चूल्हे में आम की लकड़ी पर खाना बनाते हैं।

तीसरे दिन और चौथे दिन भगवान को अर्ध्य पड़ता है।13-14 अप्रैल को है। इसमें  दूध और गंगा जल से अर्ध्य पड़ता है। लोग पास के नदी, पोखर या घर में गड्ढे खोद कर वर्ती खड़ी रहती है। उनको बांस के सुप या डाला में टिकरी, चावल के आटे का लड्डु..और मौसमी फल चढ़ता है। 

      छठ पूजा क्यों करते हैं

    छठ पूजा करने के सबके अपने-अपने कारण होते हैं। छठ करने से सुर्य देव की कृपा होती है। उनकी कृपा से सेहत अच्छी रहती है,धन-धान्य से परिपूर्ण रहते हैं,घर परिवार खुशहाल रहता है, छठ माई की कृपा से संतान प्राप्ति होती है। शरीर में त्वचा संबंधी रोग हो तो वो लोग माता से मनौती मांगते हैं, अपनी मनोकामना पूरी होने पर छठ का डाला शुरू करते हैं। शरीर के दाग-धब्बे सब खत्म हो जाता है।माता की पूजा से...



  

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