चटपटे गोलगप्पे की कहानी, इसका इतिहास जानते हैं

      गोलगप्पे जिसका नाम सुनते ही मुंह में पानी आने लगता है, ओहो उसका खट्टा खट्टा पानी, हरी धनिया और मिर्च वाला तीखा पानी सोच के ही रोंगटे खड़े हो जाते.. गोलगप्पे को अलग अलग शहरों में अलग अलग नाम से जाना जाता है कहीं इसे पुचका, कहीं बताशे, कहीं गुपचुप, कहीं पकौड़ी, पानीपुरी, फूल्का, गोलगप्पा, आदि नामों से जाना जाता है। 



         लड़कियों को गोलगप्पे बहुत ज्यादा पसंद है, गोलगप्पे देख वो पागल होने लगती है खुशी से मैं भी गोलगप्पे के लिए पागल हुं। गोलगप्पे‌ खाते समय हम लड़कियां अपना डाइट भूल जाती हैं, गोलगप्पा दोस्ती कराने का भी एक जरिया बन जाता है कभी कभी, आपसे अगर आपकी‌ कोई फ्रैंड रूठ गई कह‌ दो कि चलो गोलगप्पे‌ खिलाते वो तुरंत साथ हो लेगी। पति -‌पत्नी‌ में जब तकरार हो‌ जाए शाम में फोन करो तैयार रहना चलते हैं गोलगप्पे खाने देखो कैसे प्यार उमरता ... 


     बनाने वाले ने भी क्या सोच के ये बनाई होगी, जिसके पीछे दुनिया पागल हो वो गोलगप्पे के लिए पागल होती है तभी मन में सवाल आया कि आखिर ये सबसे पहले बनाया कौन, इसकी शुरुआत कहाँ से हुई, आखिर इसका इतिहास क्या है.. बस खोजते खोजते जो रिजल्ट निकला‌ वो आपके सामने‌ रख‌ रही हुं... 

    

     चटपटे गोलगप्पे की कहानी, इसका इतिहास क्या है.... 


      कुछ इतिहासकारों का कहना है चटपटे गोलगप्पे का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा माना जाता है, एक कथा के अनुसार कहा जाता है कि द्रोपदी की जब शादी हुई तो उस समय पांडव सब‌‌ अपना पहचान छुपा जंगल में रह रहे थे। पांडेव जब द्रोपदी को घर लाए तो माता कुंती ने उनकी गृहस्थी देखने के लिए कहा - ये पांडव आज भिक्षा में आटा और आलू ही लाए हैं कुछ ऐसा बनाओ कि सबका इसी में पेट भर जाए। घर में तेल और कुछ मसाले थे द्रोपदी ने इतना अच्छा खाना बनाया कि सभी पांडव जी भर के खाए और माता कुंती प्रसन्न हो अमरता का वरदान भी दिया... 

   
        दुसरी एक कहानी है जिसमें कुछ इतिहासकारों का मानना है कि गोलगप्पे का आविष्कार भारत के बिहार में हुआ, ग्रीक इतिहासकार मेगस्थनीज, चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपने एक किताब में लिखा है कि बिहार में आलू 300-400 साल पहले आए थे तो राज कचौड़ी का आविष्कार इसी के आसपास हुआ‌। हो सकता उसी समय कोई कचौड़ी छोटी रह‌‌ गयी हो और किसी ने इमली पानी, आलू मसाला डाल खाई तो अच्छा लगा और गोलगप्पे का‌ आविष्कार हो गया। 

       अब कहानी की असलियत जो भी हो जिसने भी बनाया‌ लाजवाब बनाया। चटपटे व्यंजन में गोलगप्पे को सबसे ऊपर के लेवल का व्यंजन माना जाता है। गोलगप्पे का तीखापन, खट्टापन और आलु चना का वो मसाला फिर कड़क सी पुरी में भर कर मुंह में रखने से वो आंख खुद ब खुद बंद हो जाता और जीभ को सब स्वाद मिलने के बाद अंतरात्मा यही कहती है‌- धरती पर और कुछ नहीं यही स्वर्ग है..... 

     मशहूर गोलगप्पा.... 


        गोलगप्पे की जब बात आती तो मन में आता की सबसे मशहूर गोलगप्पे कहाँ के हैं। गोलगप्पे की दिवानगी ऐसी है कि गुगल ने डुडल कर गेम बना दिया। हुआ युं कि इंदौर के एक रेस्टोरेंट इंदौरी जायका नाम का रेस्टोरेंट है जिसमें 51 फ्लेवर का गोलगप्पे पानी बना विश्व रिकॉर्ड बनाया। गुगल डुडल एक एनिमेशन है जिसमें हर साल एक लिस्ट बनाई जाती है जिसमें दुनिया भर के सबसे दिलचस्प विषय की एक श्रृंखला का जश्न होता है।

     कहाँ जाता है गोलगप्पा जैसे एक स्ट्रीट फूड है तो इसका स्टाल आपको हर शहर में मिल जाता लेकिन कुछ जगहों पर इसके तीखे मसालेदार जायके मशहूर है जैसे मुंबई के, दिल्ली, कोलकाता, अहमदाबाद, इंदौर, पटना, वाराणसी, अमृतसर हैं। इनका छोले आलू और इमली पानी का खास टेस्ट है इसलिए यहाँ मशहूर गोलगप्पे बनते हैं। 

     गोलगप्पे बनाने की विधि.... 

    घर में जायकेदार गोलगप्पा बनना चाहते हैं तो बहुत आसान तरीका है‌ आप सबसे पहले आटा, सुजी को मिलाकर अच्छे से गुथ ले उसमें हल्का सा तेल भी मिला ले, आटा थोड़ा कड़ा होना चाहिए। अब उसको थोड़ी देर कपड़े से ढक कर रखे फिर पतला पतला गोल गोल छान लें। तैयार हो गया आपका पापड़ी.. 

    अब आलू उबाल कर छील कर उसमें सभी सुखा मसाला मिला चोखा जैसा बना लें, उसमें आप उबले चने के छोले भी मिक्स कर सकते हैं। फिर इमली का चटनी‌ बना लें और गोलगप्पे के पानी के लिए इमली का पानी, पुदीना, धनिया और हरी मिर्च पीसकर सब मिला लें, नमक स्वादानुसार, आमचुर पाउडर, जलजीरा पाउडर भी मिला कर तैयार कर लें। बस अब पापड़ी तोड़ उसमें आलू मसाला और पानी का स्वाद लें। 

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