नवरात्रि का पांचवां दिन/Navratri special

      नवरात्रि शुरू हो गये है। नौ दिनों तक चलने वाली इस नवरात्रि में माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है। पिछले दिनों आपको माता के चार रुपों के बारे में बताये थे।आज माता के पांचवें रुप स्कंदमाता के बारे में बात करते हैं..

        9 अक्टूबर को माता के तीसरे और चौथे रुप की पूजा हुई। 10 अक्टूबर को माता के पांचवें रुप स्कंदमाता की पूजा की जाएगी। शास्त्रों में मां स्कंदमाता की आराधना का काफी महत्व बताया गया है। इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। भक्त को मोक्ष मिलता है। सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है। अतः मन को एकाग्र रखकर और पवित्र रखकर इस देवी की आराधना करने वाले साधक या भक्त को भवसागर पार करने में कठिनाई नहीं आती है।

   स्कंद मतलब कुमार कार्तिकेय,अर्थात माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ के बड़े पुत्र कार्तिकेय। इस देवी की चार भुजाएं हैं। अपनी दायीं तरफ की ऊपर वाली भुजा से बाल स्वरुप भगवन कार्तिकेय को गोद में लिया हुआ है।बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा वर-मुद्रा में और नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर है उसमें कमल का फूल है।


     ये कमल के आसन पर विराजमान हैं, इसलिए इनको पद्मासना भी कहते हैं। इनका ‌‌‌‌‌‌‌‌वाहन‌ सिंह है। स्कंद माता की पूजा से मोक्ष मिलता है। इस‌ देवी की‌ साधना ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌ आजीविका से संबंधित लोगों के लिए फायदेमंद है। चेतना का निर्माण करने वाली माता है।

     स्कंदमाता की पूजा विधि


   स्कंदमाता की पूजा ईशान कोण में होनी चाहिए। सबसे पहले माता की मूर्ति या फोटो हरे रंग के कपड़े पर रखना चाहिए। उसके बाद दशोपचार विधि से पूजा करें। गाय के घी से दीफ जलाएं। बाकी चार दिन जैसे पूजा ‌‌पाठ करते हैं वैसे ही करें। माता को केले का भोग लगाएं। प्रसाद के रूप में फिर कन्याओं और ब्राह्मण में बांट दें।

   माता का मंत्र

   सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया।
    शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी।।

   या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
   नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
   
        ॐ ह्रीं सः स्कंदमात्रैय नमः , इस मंत्र का 108 बार जाप करें।

      स्कंदमाता विद्वानों व सेवकों की जननी है। स्कंदमाता की पूजा का श्रेष्ठ समय है दिन का दूसरा प्रहर। इन्हें चंपा के फूल, कांच की हरी चूडियां व मूंग से बने मिष्ठान प्रिय है। देवी स्कंदमाता की साधना उन लोगों के लिए सर्वश्रेष्ठ है, जिनकी आजीविका का संबंध मैनेजमेंट, वाणिज्य, बैंकिंग अथवा व्यापार से है। इनकी उपासना से पारिवारिक शांति आती है, रोगों से मुक्ति मिलती है तथा समस्त व्याधियों का अंत होता है।

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