कल 5 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन है। माता का नौ दिन का व्रत कलश स्थापना के साथ ही शुरू हो गया। माता के चौथे पूजा के दिन कुष्मांडा माता की पूजा होती है। कुष्मांडा मतलब कोहरे.. माता को बलि के रूप में कोहरा बहुत पसंद हैं।
माता अपनी मंद-मंद और हल्की हंसी के द्वारा ब्रंह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इस देवी को कुष्मांडा कहा जाता है।जब सृष्टि नहीं थी,चारों ओर अंधकार था,तब इस देवी ने ब्रह्मांड की रचना की, इसलिए इन्हें आदिशक्ति या आदि स्वरुपा कहा जाता है।
मां कुष्मांडा की 8 भूजाएं है,एक हाथ में गदा, एक में कमल का फूल, एक हाथ में शंख, चक्र, कमंडल, धनुष-वाण और एक हाथ में जपमाला है। मां के पास एक हाथ में अमृत कलश भी है। इनका वाहन सिंह है।
माता का पूजा same वैसे ही करना होता है, जैसे और दिन पूजा किया जाता है।बस माता की पूजा करते समय हरे रंग का कपड़ा पहनाना चाहिए। माता के लिए ये मंत्र बोलना चाहिए..कुष्मांडा: ऐं हीं देव्यै नमः.. वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्राकृतशेखराम्। सिंहरुढा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्।।
माता कूष्मांडा को इस दिन मालपुआ का भोग लगाया जाता है और फिर उसे ब्राह्मण को दान कर दिया जाता है। इस दान से हर मनोकामना पूरी होती है।
माता अपनी मंद-मंद और हल्की हंसी के द्वारा ब्रंह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इस देवी को कुष्मांडा कहा जाता है।जब सृष्टि नहीं थी,चारों ओर अंधकार था,तब इस देवी ने ब्रह्मांड की रचना की, इसलिए इन्हें आदिशक्ति या आदि स्वरुपा कहा जाता है।
मां कुष्मांडा की 8 भूजाएं है,एक हाथ में गदा, एक में कमल का फूल, एक हाथ में शंख, चक्र, कमंडल, धनुष-वाण और एक हाथ में जपमाला है। मां के पास एक हाथ में अमृत कलश भी है। इनका वाहन सिंह है।
माता का पूजा same वैसे ही करना होता है, जैसे और दिन पूजा किया जाता है।बस माता की पूजा करते समय हरे रंग का कपड़ा पहनाना चाहिए। माता के लिए ये मंत्र बोलना चाहिए..कुष्मांडा: ऐं हीं देव्यै नमः.. वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्राकृतशेखराम्। सिंहरुढा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्।।
माता कूष्मांडा को इस दिन मालपुआ का भोग लगाया जाता है और फिर उसे ब्राह्मण को दान कर दिया जाता है। इस दान से हर मनोकामना पूरी होती है।
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