बरसाने की लट्ठमार होली

      होली की तैयारी पुरी हो चुकी है। 18 मार्च को होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा। हर जगह रंग-अबीर , पिचकारी ही दिख रहे बाजार में, लोगों में होली को लेकर काफी उत्साह है। होली फेमस है राधा- कृष्ण का, भगवान राम के होली के गीत मन मोह लेते हैं। बरसाने की /लट्ठमार_होली  पुरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यहां राधा कृष्ण के प्रेमलीला हर कण-कण में व्याप्त है। कृष्ण का गोपियों से रासलीला देखने भगवान खुद धरती पर आ गए थे। हम भी आपको उसी दुनिया में ले चलते हैं जहां कृष्ण की पिचकारी, राधा को रंग से सराबोर कर रही है।



   मथुरा के बरसाने की होली का एक खास अंदाज है। ये हैं लट्ठमार होली, ये ब्रज क्षेत्र का प्रसिद्ध फेस्टिवल है। जो कि राधा कृष्ण के पवित्र प्रेम को समर्पित है। सबसे पहले ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌बरसाने की लड़कियां ढोल नगाड़ों के साथ नंदगांव आकर कृष्ण को होली खेलने का न्योता देती है। यहां के लड़के चुनड़ ओढ़ाकर स्वागत करते हैं उनका, फिर नंदभवन जाकर रंग गुलाल कान्हा को अर्पित कर दुसरे दिन खेलने आने को निमंत्रण देती है। निमंत्रण सुनते ही गोप और ग्वाले खुशी से झूम उठते। सबसे लड़कियों को फिर लड्डू खिलाया जाता है।

     यहां होली फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। वैसे तो पुरे महीने खेलते हैं, लेकिन एक खास दिन का महत्व है। यह लट्ठमार होली मनाने का कारण है कि एक बार कृष्ण अपने बाल सखाओं के साथ होली खेलने गये, वहां राधा और गोपियां को छेड़ने लगे।बस गोपियां लाठियां लेकर उनके पीछे पीछे दौरने लगी । तब से यहां लट्ठमार होली शुरू है।
होली कब है, शुभ मुहूर्त जानें
    गोपियां लाठियां से मारती है और ग्वाले ढाल से बचते हुए उन पर रंग बरसाते हैं। गुलाल उड़ाते हुए बहुत सुंदर ढंग से होली मनाते हैं। रंग-बिरंगे माहौल में जम के भांग की ठंडई‌ पी कर पुरी मस्ती करते हैं। फुलों की बौछार करते हैं,बस एक दूसरे पर प्यार की बौछार का‌ ये पर्व हर्षोल्लास से सभी मनाते हैं।   

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