कल यानी 25 फरवरी को हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने इंडिया गेट पर बने नेशनल वार मेमोरियल का उद्घाटन किया। पूर्व सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा कि" आप सभी भूतपूर्व नहीं, अभूतपूर्व हैं क्योंकि आप जैसे लाखों सैनिकों के शौर्य और समर्पण के कारण ही आज हमारी सेना पुरे दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं की गिनती में आती है"
कहा जा रहा है कि शहीदों की याद में स्मारक और संग्राहलय सबसे पहले 1968 में बनाने का विचार किया गया था। लेकिन बनाया नहीं गया।जब 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार बनी तो कुछ दिन बाद ही 2015 में इसे बनाने की अनुमति दे दी। इसके बाद ही इंडिया गेट के पास काम होने लगा। दिल्ली के इंडिया गेट में एक युद्ध स्मारक है जो प्रथम विश्व युद्ध और अफगान लड़ाई में शहीद हुए सैनिकों की याद में बना है।अमरजवान ज्योति जो 1971 की लडाई में शहीद सैनिकों की याद में बनाई गई थी।
यह वार मेमोरियल छह भुजाओं के आकार में बने मेमोरियल के बीच में 15 मीटर ऊंचा स्मारक स्तंभ है। इस पर शहीदों के नाम,21 परमवीर चक्र विजेता के नाम, भित्ति चित्र, ग्राफिक पैनल बनाई गई है। स्मारक चार चक्रों पर केंद्रित है- अमर चक्र, वीरता चक्र, त्याग चक्र, रक्षक चक्र। इसमें थल सेना, वायुसेना और नौसेना के शहीद जवान को श्रद्धांजलि दी गई है।स्मारक का निचला भाग अमरजवान ज्योति जैसा है। शहीदों के नाम दीवारों पर लिखे गए हैं।
नेशनल वार मेमोरियल
यह वार मेमोरियल 40 एकड़ में बनाया गया है।इस पर लगभग 176 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इस वार मेमोरियल को स्मारको के साथ संग्राहलय भी बनाया गया है। इस राष्ट्रीय समर संग्राहलय के दीवारों पर 25,942 शहीदों के नाम भी लिखे गए हैं। इसमें 1947-48,1961 में गोवा मुक्ति आंदोलन, 1962 में चीन का युद्ध, 1965 का पाक युद्ध ,1971 बांग्लादेश निर्माण,1987 में सियाचिन,1987-88 में श्री लंका और 1999 में कारगिल युद्ध में शहीद होने वाले सैनिकों के सम्मान में बनाया गया है।कहा जा रहा है कि शहीदों की याद में स्मारक और संग्राहलय सबसे पहले 1968 में बनाने का विचार किया गया था। लेकिन बनाया नहीं गया।जब 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार बनी तो कुछ दिन बाद ही 2015 में इसे बनाने की अनुमति दे दी। इसके बाद ही इंडिया गेट के पास काम होने लगा। दिल्ली के इंडिया गेट में एक युद्ध स्मारक है जो प्रथम विश्व युद्ध और अफगान लड़ाई में शहीद हुए सैनिकों की याद में बना है।अमरजवान ज्योति जो 1971 की लडाई में शहीद सैनिकों की याद में बनाई गई थी।
यह वार मेमोरियल छह भुजाओं के आकार में बने मेमोरियल के बीच में 15 मीटर ऊंचा स्मारक स्तंभ है। इस पर शहीदों के नाम,21 परमवीर चक्र विजेता के नाम, भित्ति चित्र, ग्राफिक पैनल बनाई गई है। स्मारक चार चक्रों पर केंद्रित है- अमर चक्र, वीरता चक्र, त्याग चक्र, रक्षक चक्र। इसमें थल सेना, वायुसेना और नौसेना के शहीद जवान को श्रद्धांजलि दी गई है।स्मारक का निचला भाग अमरजवान ज्योति जैसा है। शहीदों के नाम दीवारों पर लिखे गए हैं।
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