एक गोत्र में शादी क्यों‌ नहीं की जाती है

      भारतीय संस्कृति में पुराने समय से शादी को‌ लेकर बहुत सारी नियम है।जो अभी तक पालन होते हैं।अक्सर हमारे बड़े-बूढ़े शादी की बात हमेशा दूर-दराज करते हैं या जहां कोई हमारे गोत्र का ना‌ हो।

    आये दिन अखबारों में आते रहते हैं एक ही गांव में शादी करने पर‌ खून-खराबा का माहौल उत्पन्न हुआ। हमारे धर्म में एक गोत्र में शादी करना वर्जित माना जाता है।एक गोत्र के लोगों में भाई बहन का रिश्ता होता है।

    जानें ‌‌‌गोत्र के बारे में


  शास्त्रों के अनुसार ऋषि विश्वामित्र,जमदग्नी,भारतद्वाज, गौतम,अत्रि, वशिष्ठ, कश्यप और अगस्त्य ऋषि ये सभी 8 गोत्र से जुड़े हुए हैं।

    जैसे मेरा गोत्र भारतद्वाज है तो मैं भारतद्वाज ऋषि के वंश से जुड़ी हुई हुं। मेरी‌ पीढ़ी मतलब भारतद्वाज ऋषि से‌ शुरू हुई। इसी तरह सब ऋषि के सारे गोत्र हैं।

  
    दो लोग अगर एक ही गोत्र के हो चाहे वो दोनों अलग-अलग राज्यों से ही क्यों ना हो, दोनों एक दूसरे के संबंध के होते हैं। दोनो के पूर्वज एक ही हुए दोनों का खून का रिश्ता माना जाता है।इसलिए एक गोत्र के हुए तो भाई बहन का रिश्ता हूआ। इसलिए दोनों की शादी नहीं हो सकती है।

   एक गोत्र में शादी नहीं करने का वैज्ञानिक कारण भी है

      एक गोत्र में जो शादी करते उनके बच्चों में बहुत सारी दिक्कतें पायी गई है। उनके बच्चे में कुछ कमियां होती है।ऐसा सबके साथ हो ये जरुरी नहीं है। लेकिन उनके अगले वंश पर कुछ प्रभाव जरुर पड़ता है।
     

       ऐसे बच्चों में रचनात्मकता का अभाव होता है। विज्ञान द्वारा भी इस संबंध में यही बात कही गई है कि सगौत्र शादी करने पर अधिकांश ऐसे दंपत्ति की संतानों में अनुवांशिक दोष अर्थात् मानसिक विकलांगता, अपंगता, गंभीर रोग आदि जन्मजात ही पाए जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार इन्हीं कारणों से सगौत्र विवाह पर प्रतिबंध लगाया था।
 
     ओशो का कथन है कि स्त्री-पुरुष जितनी अधिक दूरी पर विवाह करते हैं उनकी संतान उतनी ही अधिक प्रतिभाशाली और गुणी होती है। उनमें आनुवंशिक रोग होने की संभावनाएं कम से कम होती हैं। उनके गुणसूत्र बहुत मजबूत होते हैं और वे जीवन-संघर्ष में परिस्थितियों का दृढ़ता के साथ मुकाबला करते हैं। इस संबंध में आप क्या कहते हैं। एक बार हमें जरूर बताएं।

      हिंदू धर्म के अनुसार इंसान को हमेशा तीन गोत्र को छोड़कर ही शादी करनी चाहिए। क्योंकि इंसान जिस गोत्र का होता है वो उसका पहला गोत्र होता है। दूसरा गोत्र उसकी मां का होता है और तीसरा गोत्र दादी का होता है इसलिए हमेशा तीन गोत्र को छोड़कर ही शादी करनी चाहिए।

    
    
    

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