क्रांतिकारी संत के नाम से चर्चित जैन मुनि तरुण सागर का 51 वर्ष की उम्र में शनिवार तड़के निधन हो गया। पूर्वी दिल्ली के कृष्णानगर इलाके में स्थित राधापुरी जैन मंदिर में सुबह करीब 3 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। मुनिश्री अपने कड़वे प्रवचनों के लिए प्रसिद्ध रहे। इसी वजह से उन्हें क्रांतिकारी संत भी कहा जाता था। वहीं, कड़वे प्रवचन नामक उनकी पुस्तक काफी प्रचलित है। समाज के विभिन्न वर्गों को एकजुट करने में उन्होंने काफी प्रयास किए उनके 10 कड़वे प्रवचन जानें...
1. युवतियां कभी भी घर से भागकर शादी मत करना। विधर्मी से शादी करने पर आपको वह सब भी करना पड़ सकता है जिसकी कल्पना आपने कभी न की होगी। तीन घंटे की फिल्म तथा वास्तविक जीवन में काफी अन्तर होता है। अत: जागृत अवस्था में रहकर कोई भी कार्य करो।
2.अगर तुम्हारी वजह से कोई इ्ंसान दुखी रहे तो समझ लो ये तुम्हारे लिए सबसे बड़ा पाप है, ऐसे काम करो कि लोग तुम्हारे जाने के बाद दुखी होकर आसूं बहाए तभी तुम्हें पुण्य मिलेगा।
3.कन्या भ्रूण हत्या पर जैन मुनि के विचार- कन्या भ्रूण हत्या पर जैन मुनि तरुण सागर महाराज ने एक बार अपने प्रवचन में कहा था कि जिनकी बेटी ना हो उन्हें चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं मिलना चाहिए और जिस घर में बेटी ना हो वहां शादी ही नहीं करनी चाहिए। जिस घर में बेटी ना हो उस घर से साधु-संतों को भिक्षा भी नहीं लेनी चाहिए।
4.हंसने का गुण केवल मानवों को मिला है इसलिए जब भी मौका मिले मुस्कुराइये, कुत्ता चाहकर भी मुस्कुरा नहीं सकता।
5.जब भी जिंदगी में संकट आता है, तो सहनशक्ति पैदा करो। जो सहता है वही रहता है। जीवन परिवर्तन के लिए सुनने की आदत डालो। सुनना भी एक साधना है। चिंतन बदलो तो सबकुछ बदल जाएगा। इससे रंग नहीं, तो कम से कम जीने का ढंग तो बदल ही सकता है।
6.परिवार में आप किसी को बदल नहीं सकते हैं लेकिन आप अपने आप को बदल सकते हैं, आप पर आपका पूरा अधिकार है।
7. गुलाब कांटों में भी हंसता है इसलिए लोग उसे प्रेम करते हैं, तुम भी ऐसे काम करो कि तुमसे नफरत करने वाले लोग भी तुमसे प्रेम करने पर विवश हो जायें।
8.डाक्टर और गुरु के सामने झूठ मत बोलिये क्योंकिं यह झूठ बहुत महंगा पड सकता है । गुरु के सामने झूठ बोलने से पाप का प्रायश्चित नही होगा, डाक्टर के सामने झूठ बोलने से रोग का निदान नहीं होगा । डाक्टर और गुरु के सामने एकदम सरल और तरल बनकर पेश हो
9.धनाढ्य होने के बाद भी यदि लालच और पैसों का मोह है, तो उससे बड़ा गरीब और कोई नहीं हो सकता है। प्रत्येक व्यक्ति ‘लाभ’ की कामना करता है, लेकिन उसका विपरीत शब्द अर्थात ‘भला’ करने से दूर भागता है
10.बडा आदमी वह नहीं है जिसके यहां चार आदमी काम करते हैं बड़ा आदमी वह है जो चार आदमी का ्् काम अकेले करता है।
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