बहु और ससुराल

एक लड़की अपना‌ सब कुछ छोड़कर जब ससुराल आती है उसके मन में कितने सपने होते हैं । वो जहां किसी को ना‌ जानती वहां दुनिया बसाने आती हैं। ससुराल वाले जिस लड़की को ना‌ जानते उनको अपना पुरा घर सौंप देते। दोनों एक दूसरे से बिल्कुल अनजान होते हैं। लेकिन दोनों अपने आप को एक दुसरे के अनुसार ढालने की कोशिश करती हैं। यही कोशिश अगर सही रहती , दोनों समझदार होते तो उनकी दुनिया खुशहाल हो जाती है। ना तब बहु और ससुराल दोनों में तकरार रहती। कहने का तो लड़की कहती सास ससुर को माता पिता समझेंगी और सांस ससुर कहते हम अपनी बेटी समझेंगे। लेकिन कोई ये बात नहीं मानते। ससुराल वालों के लिए बहु‌ रजनीकांत जैसी चाहिए जो हर काम में निपुण,उनकी हर बात मानने वाली, ससुराल वालों के मुंह से निकले और बहु हाजिर कर दें। जिसकी कोई शिकायत न हो। सुबह के 4 बजे जगे और रात के 12 बजे सोते। तो अब आप बताएं क्या ये सब चीज अपनी बेटी में देखना चाहते। बेटी को बेड टी,8 बजे सो के जगने,हर फरमाइश की जिद जो पुरी भी हो। दोस्तों ये कहने की बात है बस कि बहु नहीं बेटी चाहिए। बहु भी कहती हैं सांस ससुर को माता-पिता मानेंगे लेकिन अगर अपने माता-पिता कुछ कह दे तो बुरा ना मानते सास ससुर कुछ कह दे तो , माता पिता कोई फरमाइश पुरा ना करें तो मजबूरी रही होगी अगर सांस ससुर पुरा करें तो गलती। ससुराल के रिश्ते में ननद का रोल सबसे अहम होता है। अच्छी है तो आपकी जिंदगी स्वर्ग ना तब सास ससुर पति सब पर भारी होती है ननद। जिसके लिए आप गलतियों का भंडार हो। जो आपमें कमी के अलावे कुछ देखती ही नहीं है। वहीं जब ससुराल जाती है तो वहां उनके साथ ऐसा होता तो कहती हैं ननद बुरी है। छोटे भाई बहन बात ना माने तो बच्चे हैं अगर ननद देवर ना माने तो गलती... तो बहू और ससुराल के रिश्ते को समझदारी से निभाये ना की लड़ के... ्

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