खुशियों का खजाना कहीं और नहीं बस हमारे घर में होती है ..जब पति आॅफिस से थका हरा आये, पत्नी के साथ प्यार की दो बात दोनों के मन में खुशियां भर देती.. वहीं पति आते ही सब पर चिल्लाना शुरू कर दें, या पति के आते ही पत्नी शुरू हो जाय तो खुशियों का आंगन मातम का आंगन लगने लगता..एक बच्चे को मां बाप कितना प्यार से पालते , बच्चा जब पहली बार हंसा, पहली बार जब चला, बोलना सीखा सब कुछ मां बाप के लिए वो दिन हमेशा याद गार रहता..वहीं बच्चे जब बड़े हो जाते मां बाप को भुला देते.. हमारी खुशियां तो सब के साथ होती है, याद है बचपन में सब साथ होते थे कितना मज़ा आता था..सब भाई बहन मिल कर कितना मस्ती किया करते थे..एक दुसरे से कितना लड़ाई झगडे होते थे फिर थोड़े देर में सब साथ..आज छोटी सी बात दिल पर ले कर वर्षों पुराना दोस्ती टुट जाती...क्यो न इस छुट्टी सब लड़ाई झगडे भुल के फिर अपने खुशियों का खजाना खोजें..सब एक साथ मिलकर खूब मौज उड़ाया जाय..
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