प्रयागराज महाकुम्भ मेला 2025: अखाड़ा क्या है, इसका इतिहास क्या है और कितने अखाड़े हैं

    Mahakumbh 2025 : प्रयागराज में साल 2025 में महाकुम्भ मेला लगने वाला है, इस महाकुम्भ मेला में हिन्दू धर्म के सभी संप्रदाय, पंथ और साधुओं के अखाड़े सभी शामिल होंगे। युं तो अखाड़ा कुश्ती लड़ने वाले जगह को कहा जाता है लेकिन यहाँ साधुओं, नागाओं को तैयार किया जाता है। यहाँ साधू नागा हर कला में ट्रेनिंग दिया जाता है। 

       अखाड़ा बहुत पुराना शब्द नहीं है, बहुत पहले‌ अखाड़ों को साधुओं का जत्था कहा जाता है पहले इसे बेड़ा कहा जाता था फिर मुगलकाल से इसको अखाड़ा नाम दिया गया है। पिछले पोस्ट में हमने महाकुम्भ मेला में शाही स्नान के बारे में बात किए थे, इस पोस्ट में हम अखाड़ा क्या है, इसका इतिहास क्या है और कितने अखाड़े है ं। 

     प्रयागराज महाकुम्भ मेला 2025 : अखाड़ा क्या है... 

      जब‌ हिन्दू धर्म में कुछ धर्म विरोधी लोग परेशान करने लगे, हमारे धर्म के लोगों को मार काट करने लगे तब शंकराचार्य और‌ बहुत से साधुओं ने‌ एकजुट होकर शस्त्र विद्या का अध्ययन किया। इस अखाड़े का उद्देश्य किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं था लेकिन जहाँ बल की आवश्यकता होती वहाँ ये डट कर खड़े रहे और जीत कर आए। इस अखाड़े में शास्त्र और शस्त्र दोनों की तैयारी होती थी। इसमें साधुओं का जमावड़ा होता था और शस्त्र चलाना, कुश्ती आदि सिखाया जाता था इसलिए इसका नाम अखाड़ा पड़ा। 

     कितने अखाड़ा होते हैं... 

 ‌‌‌     अखाड़ा कुल 13 हैं, सभी अखाड़े में हाथी, घोड़े, नागा साधु, शस्त्र, तलवार, बंदूक आदि होते हैं। कुंभ मेला के दौरान जब ये अखाड़े निकलते हैं तो इनकी शोभा यात्रा देखते बनती है। हमारे देश में शैव, वैष्णव, और उदासीन पंथ है जिसमें शैव संप्रदाय के 7 अखाड़े हैं, वैष्णव के 3 और उदासीन के 3 अखाड़े हैं। 13 अखाड़ा के कुछ उप-अखाड़े भी बने जिसमें 1 किन्नर अखाड़ा जिनको 2019 में मान्यता मिली। प्राचीन काल में 4 अखाड़े ही थे। 



       शैव संप्रदाय के 7 अखाड़े... 
   1.‌ श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी - प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
   2. श्री पंच अटल अखाड़ा- वाराणसी, उत्तर प्रदेश
   3. श्री पंचायती अखाड़ा‌ निरंजनी - प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
   4. श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा पंचायती - त्रयम्बकेश्वर, महाराष्ट्र
   5. श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा - हनुमान घाट, वाराणसी
   6. श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा - दश्वमेघ घाट, वाराणसी
   7. श्री पंचदशनाम पंच अग्नि अखाड़ा - गिरीनगर, गुजरात

      वैरागी वैष्णव सम्प्रदाय के अखाड़े.. 
  1. श्री दिगंबर अनी अखाड़ा - गुजरात
  2. श्री निर्वाणी अनी अखाड़ा - हनुमान गढ़ी अयोध्या
  3. श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा - वृंदावन मथुरा

   उदासीन संप्रदाय के अखाड़े... 
   1. श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा - प्रयागराज उत्तर प्रदेश
   2. श्री पंचायती बड़ा नया उदासीन अखाड़ा- हरिद्वार,  उत्तराखण्ड
   3. श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा - हरिद्वार, उत्तराखंड

    अखाड़ा को संभालने के लिए उसमें बहुत सारे पद बनाए जाते हैं इसमें सबसे उच्च पद महामंडलेश्वर होता है, थानापति, भंडारी, कोठारी ,कोतवाल, कारोबारी आदि बहुत पद होते हैं। हर पल पाने की अलग अलग योग्यता होती है, बहुत तरह के योग्यता साबित करने होते हैं तब ये पद मिलता है।

     महामंडलेश्वर पद के बारे में....

    13 अखाड़ा में कुल 13 महामंडलेश्वर हैं। महामंडलेश्वर बनने के लिए वेद के ज्ञाता होने चाहिए, वो पुर्ण रुप से संन्यासी होते हैं अपना पिंडदान खुद कर देते हैं, वर्षों कथा कहते हैं, मठ से जुड़े रहते हैं। घर परिवार से एकदम मोह खत्म हो, मठ में कुछ और परीक्षा के बाद ही महामंडलेश्वर बनते हैं जो 6 वर्ष तक रहते हैं। इनका काम है धर्म का‌ प्रचार करना, अपने मठ का सारा कुछ अहम फैसले धर्म हित में हो‌ उसका ध्यान रखना।

    सबसे बड़ा अखाड़ा - सबसे बड़ा अखाड़ा जूना अखाड़ा है, जिसमें 5 लाख नागा साधु हैं। जुना अखाड़ा 1145 ईस्वी में बना, उत्तराखंड के कर्णप्रयाग में इसका सबसे पहला मठ स्थापित किया गया। ये अखाड़ा के इष्ट देवता भगवान शिव और गुरु दत्तात्रेय जी हैं, इसे भैरव अखाड़ा भी कहा जाता है।

    जुना अखाड़ा के महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि महाराज जी हैं, उन्होंने अब तक 1 लाख से ज्यादा देश या विदेशी संन्यासी को दीक्षा दे चुके हैं। इस अखाड़ा का केंद्र वाराणसी है और इसके आश्रम देश के दुसरे शहरों में भी हैं।

     

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