कलश स्थापना 2023 कब है, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि जानें

     शारदीय नवरात्रि की तैयारी जोर-शोर से चल रही है अब बस कुछ दिन बचे हैं। साल में चार नवरात्र होते हैं जिसमें शारदीय नवरात्र की धूम अलग होती है नौ दिन के इस पूजा में हम लोग तन मन से माता की भक्ति में लीन रहते हैं। नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना किया जाता है जिसमें दुर्गा माता का आवाहन कर हम अपने घर विराजमान करने कहते हैं, फिर नौ दिन पूजा करते हैं हवन, कन्या पूजन सब कर माता को विदा करते।

      नौ दिन हम माता के नौ रूपों की अलग अलग पूजा करते हैं, हर नौ दिन का अलग अलग चढ़ावा भी होता है। बिहार, झारखंड, बंगाल और उत्तर प्रदेश में विशेष रूप से दुर्गा पूजा किया जाता है। आप हमारे साथ अभी बने रहे हम नौ दिनों की पूजा, कलश स्थापना पूजा, हवन विधि सब पर चर्चा करेंगे..... जय माता दी 


        कलश स्थापना 2023 कब है और शुभ मुहूर्त जानें....


        कलश स्थापना आश्विन मास के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को किया जाता है। साल 2023 में शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 14 अक्टूबर रात 11.24 से 15 अक्टूबर रात 12.32 तक रहेगा। इसलिए कलश स्थापना सुर्योदय के अनुसार 15 अक्टूबर रविवार को होगा।
        
       कलश स्थापना का सबसे अच्छा मुहूर्त 15 अक्टूबर को सुबह 11.44 से 12.30 तक रहेगा। 24 अक्टूबर को विजयादशमी दशहरा पर्व होगा।

      माता की सवारी किस पर आ रही है....

    
       कहा जाता है मां दुर्गा स्वर्ग में वास करती है दुर्गा पूजा के समय वो धरती पर आती है, धरती पर जिस सवारी से आती है उसका प्रभाव अलग अलग होता है। और दिन के अनुसार सवारी अलग अलग होता है।‌ इस बार रविवार को माता आ रही है तो माता का सवारी हाथी है और हाथ सुख, समृद्धि और ज्ञान का सूचक है। इसका मतलब माता पृथ्वी पर सुख समृद्धि लेकर आएंगी, हम लोग बस भक्ति भाव से उनकी पूजा करें। माता की सवारी मुर्गे पर जाएगी जो कष्ट का संकेत देता है।

        कलश स्थापना की पूजा विधि......

     कलश स्थापना के दिन सुबह पहले कहीं अच्छे जगह से मिट्टी लाएं, अगर बहुत सुखा है तो घंटा दो घंटा पानी से भींगों दे। फिर स्नान ध्यान कर पुजा का कमरा झार पोंछ पहले पूजा का सारा सामान रख दें। आसन बिछा लें, माता का फोटो लगा लें उसके ठीक सामने मिट्टी का एक चौकोर आकार में रखें। 

       पूजा हमेशा उत्तर पूर्व दिशा मतलब ईशान कोण में करना चाहिए, अगर ईशान कोण नहीं बन रहा तो उत्तर या पूर्व दिशा में कलश स्थापित करना चाहिए। माता की फोटो को एक लाल कपड़ा बिछाकर रख दें। फिर नारियल को लाल कपड़ा में लपेटें। 

  
     फिर सबसे पहले भगवान गणेश का आवाहन कर उनको स्थापित करें, फिर नौ ग्रह का पूजा, फिर कलश स्थापित कर उसमें भी लाल कपड़ा बांधे और उसमें सिक्का, 7 तरह का अनाज, तिल, अक्षत, सुपारी और मिट्टी में जौ अच्छे तरह मिला कर अच्छे से कलश रख उसमें आम का पत्ता, ढक्कन में चावल भर कर उसपर नारियल रखें। तब देवी का आवाहन कर पाठ शुरू करें। 

      दुर्गा सप्तशती पाठ  किताब में सारा विधि विधान दिया गया है, इस लिंक पर पाठ कैसे करें वो भी हैं। कुछ लोग नौ दिन रामायण पाठ भी करते हैं फिर नौवें दिन हवन कर कन्या पूजन करें। दुर्गा पूजा का बहुत सारा पोस्ट मेरे ब्लॉग में है आप अवश्य पढ़ें, कुछ ग़लत हो तो क्षमा करें....

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