गुप्त नवरात्रि 2023 कब है जानें शुभ मुहूर्त और कलश स्थापना कब होगा.

         साल में चार नवरात्र होते हैं, चैत्र नवरात्र, शारदीय नवरात्र, और दो गुप्त नवरात्र, जिसमें से एक नवरात्र आषाढ़ के महीने में मनाया जाता है। एक गुप्त नवरात्र माघ महीने में होता है, चैत्र और आश्विन नवरात्र तो लगभग घरों में अब होता है लेकिन गुप्त नवरात्र मंदिरों और सती उपासक करते हैं। कुछ खास पूजन विधि और तंत्र मंत्र की साधना वाले लोग गुप्त नवरात्र करते हैं। गुप्त नवरात्रि में नौ देवियों के अलावा दस महाविद्याओं की पूजा होती है इसमें मां काली, मां तारा, मां छिन्नमस्तिका, मां त्रिपुर सुंदरी, मां त्रिपुर भैरवी, मां भूवनेश्वरी, धूमावती माता, बंगलामुखी माता, कमला देवी मां, मां मातंगी की पूजा होती है। गुप्त नवरात्रि में गृहस्थ लोग भी पूजा करते हैं लेकिन अघोरी, तांत्रिक या सिद्ध पाने वाले लोग ज्यादातर पूजा करते हैं। तांत्रिक पूजा भी सभी मंदिरों में नहीं होता है ये कुछ कुछ शक्ति पीठ और मंदि रों में होता है जैसे कामख्या धाम में, छिन्नमस्तिका मंदिर रजरप्पा में और भी बहुत जगह है जिनकी जानकारी आगे बताएंगे। आज पहले गुप्त नवरात्र कब है जानें।



        गुप्त नवरात्रि 2023 कब है और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त जानें.....


      गुप्त नवरात्रि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है। आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा 18 जून 2023 को सुबह 10. 06 से शुरू हो रही है जो 19 जून के सुबह 11.25 तक रहेगा। 19 जून के के उदयातिथि के कारण प्रतिपदा सोमवार 19 जून को ही मान्य रहेगा। कलश स्थापना 19 जून को ही होगा। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 05.23 से 07.27 तक रहेगा। ऐसे पुरे दिन में मान्य रहेगा क्योंकि प्रतिपदा पुरे दिन माना जाएगा, कलश स्थापना आप दिन। में 11.55 से 12.50 तक भी कर सकते हैं। गुप्त नवरात्रि 28 जून को दशमी के साथ समाप्त हो जाएगी। गृहस्थ जीवन वाले जैसे प्रकट नवरात्रि करते हैं वैसे पूजा जो सात्विक रूप में किया जाता है, अघोरी, तांत्रिक की पूजा अलग रूप से किया जाता है। 

       गुप्त नवरात्रि में माता का आगमन और प्रस्थान....


    गुप्त नवरात्रि में माता का आगमन और प्रस्थान दोनों हाथी पर ही है। गुप्त नवरात्रि सोमवार को शुरू हो रहा है और शुक्रवार को समाप्त हो रहा है इसलिए इस दोनों दिन में आगमन या प्रस्थान हाथी पर ही होता है। दिन के आधार पर पता चलता है कि कौन से दिन में किस पर माता सवार होंगे।

        गुप्त नवरात्रि पर पूजन विधि - 


      गुप्त नवरात्रि में दुर्गा चालीसा पाठ या दुर्गा सप्तशती पाठ करें। साधक तंत्र मंत्र सिद्ध करने के लिए अलग पूजा करते हैं उसके लिए शक्ति पीठ जहां शिव और शक्ति दोनों की पूजा होती है वहां जाकर वहां के जानकार से मिल सकते हैं। माता को लाल फूल चढ़ाएं। लौंग और बताशे का भोग लगाएं, माता को दूब, अकान, मंदार, तुलसी आदि बिल्कुल नहीं चढ़ाना चाहिए। सुबह शाम धूप दीप जलाएं, माता को श्रृंगार का सामन, सिंदुर, फूल माला चढ़ाएं, कपूर लौंग से आरती करें।

          नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करें, जिसमें आम का पत्ता, नारियल जटा वाला लाल कपड़ा में लपेट कर,कलश में गंगा जल भर कर रखें, कलश के नीचे मिट्टी जौं मिलाकर कर रखें। फिर गणेश जी की पूजा करें, सभी देवी देवता का आवाहन कर तब मां दुर्गा के फोटो पर माला, फूल, फल, नैवेद्य, द्रव्य, अक्षत, सिंदुर, पान, ताम्बुल आदि चढ़ाएं फिर दुर्गा सप्तशती का पाठ करें या दुर्गा चालीसा पाठ करें। कन्या भोजन कराएं, दान करें....

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