हरतालिका तीज कब है, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

      हरतालिका तीज जिसमें महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए पुरा दिन उपवास करते हैं। हरतालिका तीज के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। यह व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को किया जाता है, कहा जाता है माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए यह व्रत किया था। इसमें निर्जला व्रत करती है महिलाएं, कन्या कुंवारी लड़कियां भी अच्छे जीवन साथी के लिए यह व्रत करती है। आइए जानें हरतालिका तीज कब है।


     हरतालिका तीज कब है जानें शुभ मुहूर्त.....


    हरतालिका तीज 30 अगस्त मंगलवार 2022 को है। 29 अगस्त 2022 को नहाय खाय है और 30 अगस्त को उपवास है। पूजन के लिए शुभ मुहूर्त 30 अगस्त सुबह 06.05 से 08.38 और शाम 06.33 से 8.51 है। ऐसे हमारे यहां पुरी रात भगवान शिव और गौरा की पूजा की जाती है। महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूरी रात एक आसन पर बैठकर भगवान शिव को पूजती है।


      हरतालिका तीज की पूजन विधि....


       तीज की पूजन विधि हमारे यहां सबसे पहले नहाय खाय के दिन किसी नदी, तालाब या पोखर में नहाकर वहां से मिट्टी लाते हैं। उस मिट्टी का शिव-गौरी, गणेश जी की प्रतिमा बनाते हैं। जिमिकंद (ओल) के तना से एक छोटा सा मंडप बनाते, जिसे चौड़ा कहा जाता, जिसे बहुत अच्छी तरह सजाया जाता है। तब महिलाएं सोलह श्रृंगार कर सजधज कर भगवान शिव और गौरा मां की पूजा अर्चना करती है। ये सब हरतालिका तीज के एक दिन पहले करती है। फिर वो उस दिन फल, खीर, बिना नमक के खाना खाती हैं। ये शादी के पहले साल करती है जिनकी नयी नयी शादी होती है। उसके बाद के साल में तीज के दिन ही पूजा करती है, बस पहले साल में नहाय खाय के दिन इतना पूजा करती।

      अब तीज के पुरे दिन निर्जला व्रत करती (अब तो सब फलाहारी कर लेती, करना भी चाहिए पहले जैसा अब शरीर नहीं रहा)। फिर दिन में चौड़ा पूजन करती, भगवान भोलेनाथ का गीत गाया जाता तब शाम में फिर कुछ फल दूध लें। क्यों कि तन ठीक रहेगा तब भगवान में मन लगेगा। स्नान ध्यान कर फिर दुल्हन के जैसे तैयार हो आसन पर विराजमान हो जाएं। पुरे रात भगवान की पूजा करनी चाहिए। 

      भगवान शिव को भांग, धतूरा, फूल चढ़ाएं। माता पार्वती को सिंदूर, चुनर, श्रृंगार का सामान चढ़ाया जाता है, दूध, दही से स्नान कराएं। हरतालिका तीज की कथा सुनें। रात भर भजन कीर्तन करें। मालपुआ, पकवान, चना, खीरा, भगवान जी को चढ़ाएं, भाई आ के चौड़ा नवां देता। अगली सुबह चौड़ा सर पर ले बगल के नदी तालाब में प्रवाहित करें। फिर चना खीरा लेकर व्रत खोलें। हमारे यहां बिहार में ऐसा ही होता, अगर कुछ भूल चुक हो गई तो बताएं हम इसमें जोड़ दें।

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