आज यानी 7 अक्टूबर से माता का नवरात्रि शुरू हो रहा है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना और माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। नवरात्रि में माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है। मंत्र है - प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी। तृतीयं चंद्रघंटेति कुष्मांडा चतुर्थकम्। पंचमं स्कंदमातेति षष्ठं कात्यायनीति। सप्तमं कालरात्रिति महागौरी चाष्टमम्।। नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिता:।। उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना: ।।
पहले दिन मां शैलपुत्री जो पर्वतराज हिमालय की पुत्री है। शैल मतलब पहाड़, पत्थर और पत्थर को दृढ़ता की प्रतीक माना जाता है। महिलाओं को इनकी पूजा से विशेष फल की प्राप्ति होती है। जिनको चंद्रमा का दोष हो उन्हें मां शैलपुत्री की पूजा करने से लाभ मिलता है। कलश स्थापना के बाद माता शैलपुत्री की पूजा होती है। कलश स्थापना की पूजन विधि और शुभ मुहूर्त इस लिंक पर क्लिक करें। आइए मां शैलपुत्री की पूजन विधि जानते हैं।
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा विधि...
माता दुर्गा के नौ रूपों में पहला रूप मां शैलपुत्री का है, जो शांति और सौभाग्य की देवी है। मां शैलपुत्री की पूजा करने से सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। माता के इस सौम्य रूप में दाहिने हाथ में त्रिशूल जो धर्म, अर्थ और मौक्ष के संतुलन का प्रतीक है और बाएं हाथ में कमल का फूल है, नंदी महाराज पर सवार हिमालय पर विराजमान हैं। माता को इसलिए वृषारूढ़ा भी कहा जाता है। माता के इस रूप को उमा भी कहते हैं।
माता की पूजा के लिए - नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना के बाद नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। जानिए माता की पूजा कैसे होती है.. नवरात्र के प्रथम दिन स्नान-ध्यान करके माता दुर्गा, भगवान गणेश, नवग्रह कुबेरादि की मूर्ति के साथ कलश स्थापन करें। कलश के ऊपर रोली से ॐ और स्वास्तिक लिखें। कलश स्थापन के समय अपने पूजा गृह में पूर्व के कोण की तरफ अथवा घर के आंगन से पूर्वोत्तर भाग में पृथ्वी पर सात प्रकार के अनाज रखें। इसके उपरांत कलश में गंगाजल, लौंग, इलायची, पान, सुपारी, रोली, कलावा, चंदन, अक्षत, हल्दी, रुपया, पुष्पादि डालें। फिर 'ॐ भूम्यै नमः' कहते हुए कलश को सात अनाजों सहित रेत के ऊपर स्थापित करें। कलश पूजन के बाद नवार्ण मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे!' से सभी पूजन सामग्री अर्पण करते हुए मां शैलपुत्री की पूजा करें। मनोविकारों से बचने के लिए मां शैलपुत्री को सफेद कनेर का फूल भी चढ़ा सकते हैं।
कलश स्थापना कर माता की पूजा शुरू करें और व्रत का संकल्प लें।अब मां शैलपुत्री की पूजा करें, उनको लाल फूल, सिंदुर, प्रसाद,अक्षत, धूप आदि चढ़ाएं। माता की सफेद रंग बहुत पसंद हैं तो माता को सफेद फूल, फूल और सफेद रंग का बर्फी भोग लगाएं। माता के में पूजा करते समय गाय की घी अर्पित करें। जीवन में अगर परेशानी चल रही है तो माता को पान जिसमें लौंग, मिश्री और सुपारी रख कर चढ़ाएं। माता के इस मंत्र से ध्यान करें - वन्दे वांछितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम। वृशारूढां शूलधरां, शैलपुत्री यशस्विनीम...
मां शैलपुत्री का ध्यान कर ये मंत्र कहें- ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ओम् शैली पुत्री देव्यै नमः। ऊं शं शैलपुत्री देव्यै नमः से 108 बार जाप भी कर सकते हैं।
स्त्रोत पाठ - प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर:। धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्।। त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान। सौभाग्यरोग्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्।। चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशिनी। मुक्ति भुक्ति दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्।।
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