द्वादश ज्योतिर्लिंग यात्रा- काशी विश्वनाथ

      वाराणसी का नाम सुनते ही कान में गंगा की कल कल और मंदिरों की घंटी, शंख की ध्वनि, बाबा विश्वनाथ के जयकारे और गंगा घाट की आरती सुनाई देने लगती है। गंगा जी बहुत शहरों से गुजरी है लेकिन जो बात वाराणसी के घाटों की है वो और कहीं देखने को शायद ही मिले। वाराणसी को घाटों ंऔर मंदिरों का शहर कहा जाता है। यहां कुल मिलाकर 88 घाट हैं। वाराणसी सबसे पुराने शहर में आता है, यहां मंदिर भी बहुत सारे हैं अब तो बहुत मंदिर हटा घर बना लिया, वाराणसी को मुक्ति धाम कहा जाता है यहां लोग मरने आते हैं। कहा जाता है वाराणसी में जो मरता है उसे वैकुंठ मिलता, क्योंकि यहां शिव के साथ विष्णु और ब्रह्मा भी रहते। आज हम इस पोस्ट में आपको वाराणसी, काशी विश्वनाथ की गलियों में ले चलते बस आप लोग सब बने रहिए...जब बाबा विश्वनाथ....


        काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास....

     आज का ज्ञानव्यापि मस्जिद ही बाबा विश्वनाथ का मंदिर है। जिसे सदियों पहले मुगलों ने इस पर बहुत बार हमले कर तोड़ दिया। 1194 में मुहम्मद गौरी ने तोड़ा था, फिर उसे बनाया गया तब 1447 में सुल्तान महमूद शाह ने तोड़ दिया। 1585 में राजा टोडरमल जी ने फिर यहां मंदिर बनाया। लेकिन फिर औरंगजेब ने मंदिर तोड़ यहां ज्ञानवापी मस्जिद बनबाया। 1777-80 में महारानी अहिल्याबाई होलकर ने मंदिर को फिर से बनाया, जिसमें पंजाब के महाराजा रंजीत सिंह ने सोने का छत्र बनबाया। इन सब का तथ्य हमारे इतिहास में है।


      वाराणसी के खान पान..... 

    

      काशी तीर्थ के अलावा खान पान के लिए भी जाना जाता है पुरे दुनिया में। बनारसी पान किसने नहीं सुना होगा उस पर तो फेमस गाना भी है "खईके पान बनारस वाला,खुल जाए बंद अकल का ताला" । यहां जो भी आते पान तो खाते ही है।"गुलकंद वाला पान" लोगो की खास फरमाइश होती है।


     यहां की कचौड़ी विश्व प्रसिद्ध है। जगह जगह पर कड़ाहियों में खौलता तेल आपको दिखाई देगा। घाट के नजदीक वाराणसी की कचौड़ी गली तो लैंडमार्क बन गया है।यहां ताजा कचौड़ी चने और इमली के साथ परोसा जाता है।सुबह 7 बजे से ही यहां कचौड़ी मिलना शुरू हो जाता नाश्ता का समय खत्म होते ही कचौड़ी मिलना बंद हो जाता है।सेवपुरी आलू टमाटर,प्याज,अलग अलग मसाले और सेव से बनी सेवपुरी अपने स्वाद के लिए बहुत मशहूर है।एक बार यहां आए तो जरूर चखें ये लजीज व्यंजन।"चाची की दुकान" के नाम से फेमस है पुरी सब्जी जलेबी की दुकान।कद्दु की सब्जी और गरमागरम जलेबी यहां की खासियत है।





  बनारसी लस्सी- बनारस की खास लस्सी भी यहां की पहचान है। यहां घुमने आए विदेशी इसका स्वाद जरुर चखते हैं। कचौड़ी गली में "ब्लू लस्सी" के नाम से एक दुकान है। यहां सेब,केला,अनार,आम और रबड़ी समेत हर फ्लेवर की लस्सी मिल जाता है।


      बनारसी मिठाई का भी एक खास स्थान है। यहां के रसगुल्ले,गुलाबजामुन,मलाई-गिलौरी,लौंगलत्ता,बेसन के लड्डू,खीर कदम,और भी ना जाने कितनी मिठाई मिलता है।रबड़ी वाला दूध यहां बड़ी सी हांडी में घंटो तक दूध पकाया जाता है।इससे दुध जल के आधा हो जाता है। इसके बाद भी इसमें रबड़ी मिलाई जाती है जो इसके टेस्ट में चार चांद लगा देते।


   ओस की बूंद की मलइयो दूध से बनने ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌वाल मलइयो काशी की खास पहचान है। गंगा घाट चौक और गदोलिया में बहुत टेस्टी मलइयो मिलता है।इसे बनाने की खास विधि है। दूध को चीनी के साथ उबालकर आसमान के नीचे रख दिया जाता है।रातभर ओस में रखने के बाद इसमें सुबह दुध मिला कर फेंटा जाता है। इससे जो झाग तैयार होता है उससे लाजबाव मलइय़ो बनता है।


     चुरा-मटर -काशी में सर्दी के मौसम में लगभग हर घर में चूड़ामटर बनता है। बाजार में मिलने वाली थैलेबंद नमकीन से अलग यह नमकीन का अलग स्वाद देता है। जो बनारस की खास पहचान है।कुल्हर वाली चाय,मलाई वाली पुरी और भी बहुत चीजें हैं।

       सबसे पहले वाराणसी के घाटों के बारे में.....

      यहां गंगा घाट पर हर शाम आरती होता है जो बहुत भव्य होता है।एक बार इस आरती में शामिल हो जाए मन करेगा रोज आएं। यहां का सबसे फेमस घाट दशाश्वमेध घाट है।और भी घाट है दरभंगा घाट, हनुमान घाट,और मैन मंदिर घाट भी नामी है। एक घाट है मणिकर्णिका घाट जिसमें कई शवों को एक साथ अंतिम संस्कार करते हुए आप देख सकते हैं। वाराणसी पुरे दुनिया में एक मात्र ऐसी जगह है जहां पर्यटक को मरने की सुविधा उपलब्ध है।यह अंतिम समय में लोग आते हैं मरने और सारा सुविधा यहां रहने खाने का उपलब्ध हैं।


   भारत की धार्मिक राजधानी के नाम से मशहूर है वाराणसी।यह भारत की सबसे पुरानी और सांस्कृतिक जगह है।इसे शिव की नगरी भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि यहां आकर कोई व्यक्ति मरता है और यहां संस्कार किया जाता है तो उसे मुक्ति मिलती है। इसलिए इसे मुक्तिधाम भी कहा जाता है। वाराणसी के बारे में लोगों का विश्वास है कि यहां पवित्र नदी गंगा में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं। लोग यहां सुर्योदय और सुर्यास्त के समय डुबकी लगा कर एक अनोखा और यादगार पल बनाते हैं।


     मरने के बाद उनकी लाशों को जलाकर राख और अस्थियां गंगा नदी में विसर्जित किया जाता है।यहां का अस्सी घाट होटल और रेस्टोरेंट से भरा है। तुलसी घाट, हरिश्चंद्र घाट,शिवाला घाट,और केदार घाट को परिचय की जरूरत नहीं। वाराणसी में स्वयं शिव शंकर काशी विश्वनाथ नाम से स्थापित है। एक नया काशी विश्वनाथ मंदिर भी है जो बीएचयू के परिसर में बना हुआ है।और भी बहुत मंदिर है जैसे तुलसी मानस मंदिर, दुर्गा मंदिर। यहां मुस्लिम भी बहुत रहते हैं और दोनों धर्म प्यार और सद्भाव के साथ रहते हैं।आलमगीर मस्जिद यहीं है। जैन भक्तों के लिए जैन मंदिर भी है। वाराणसी में नदी के दुसरे तरफ रामनगर किला है।और जंतल मंतर है जो कि एक वेधशाला है।इस‌ शहर में वाराणसी हिंदू विश्व विद्यालय भी है।इसे पुुुुर्वर्र का ऑक्सफोर्ड कहा जाता है।यह शहर शास्त्रीय संगीत, नृत्य और योग के लिए भी जाना जाता है।   

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