8 मार्च को पुरी दुनिया महिला दिवस मनाती है। यह दिन अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के नाम से जाना जाता है। इस दिन की शुरुआत 1908 से हुई थी। यह दिन महिलाओं को पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर, दोनों को हर क्षेत्र में समान अधिकार हो इसलिए शुरू किया गया। समाज में महिलाएं जैसे राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक क्षेत्र में आगे आएं। अपने अधिकार का प्रयोग करें इसके लिए ये दिन मनाना शुरू किया गया।
लेकिन सही मायने में देखा जाए तो क्या ये सक्सेस है। दुनिया का तो पता नहीं भारत में अभी भी महिलाओं की स्थिति दयनीय ही है। बहुत सारी महिलाएं आगे आई भी लेकिन उनको समाज से कितना संघर्ष करना पड़ा वो ही जानती है। हमारे यहां तो आए दिन महिलाओं को कभी दहेज के कारण तो कभी पुरुषों की भूख के लिए जलना और मरना पड़ता है। बस जिस दिन भारत में महिलाएं सुरक्षित सफर करने लगे समझ लिजिए महिला दिवस सही मायने में सफल हो गया।
महिला दिवस कब और क्यों मनाया जाता है......
महिला दिवस 8 मार्च को पुरेे विश्व में मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1909 में हुई थी। International Women's day सबसे पहले अमेरिका ने 28 फरवरी 1909 को सोशलिस्ट पार्टी की आवाहन पर मनाया। उस समय महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था, इसलिए उनका मकसद महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिलना चाहिए इसलिए शुरू किया। फिर अगले साल सोशलिस्ट इंटरनेशनल के कोपेनहेगन सम्मेलन में इसे इंटरनेशनल दर्जा मिला।
International Women's day अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास.....
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत 1908 में न्युयोर्क से एक महिला द्वारा शुरू आंदोलन से किया गया। धीरे धीरे इसमें लगभग 15000 महिलाओं ने अपने अधिकारों की मांग के लिए सड़क पर उतरे। इनका मांग काम करने का समय कम करवाना, अच्छा वेतन और वोटिंग का अधिकार था। इतना विरोध धरना प्रदर्शन के 1 साल बाद सोशलिस्ट पार्टी ने इनकी मांग मानी।
एक महिला जिनका नाम क्लारा जेटिकन था, उन्होंने महिला दिवस मनाने का विचार किया। वो युरोपीयन देश कोपेनहेगन में काम करने वाली महिलाओं की अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में हिस्सा लेने गई थी, उस समय 17 अलग अलग देशों की 100 महिलाएं और थी। क्लारा ने वहां ये प्रस्ताव रखा और सभी ने एक बार में मंजूर कर लिया। तब पहली बार 1910 में इसे विश्व स्तर पर मनाने का फैसला किया।
1911 में इंटरनेशनल वोमेन्स डे दुनिया के और देश भी मनाने लगे। रूस में उस समय ऐसा ना था, 1917 में रूस की महिलाओं ने फिर रोटी कपड़ा के लिए हड़ताल किया। तब वहां की सरकार उनको रोटी कपड़ा सहित वोट का भी अधिकार दिया। उस समय से हर साल महिला दिवस मनाया जाने लगा। लेकिन उस समय तक महिला दिवस मनाने की तारिख में अंतर था। रूस उस समय जुलियन कैलेंडर का उपयोग करता था।
जुलियन कैलेंडर के अनुसार 1917 की फरवरी का अंतिम रविवार 23 फरवरी को था, जबकि ग्रेगोरिरन केलैंडर के अनुसार 8 मार्च, इस समय पुरी दुनिया में ग्रेगोरीयन कैलेंडर ही चलता था, इसलिए 8 मार्च को ही महिला दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस को औपचारिक रूप से 1975 में मान्यता मिली जब संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसे मनाना शुरू किया।
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस थीम international Women's day theme -
पुरी दुनिया आज महिला दिवस को लेकर बहुत तैयारी करते हैं, वो लोग बहुत हद तक मानसिक रूप और शारीरिक रूप से भी महिलाओं को अपने बराबर मानने लगे। लेकिन हमारा देश आज भी शायद वही है महिला दिवस के दिन भी ना जाने कितनी महिलाओं को
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