महाशिवरात्रि कब है,इसका शुभ मुहूर्त और महत्व जानें

      महाशिवरात्रि जिस दिन देवों के देव महादेव और माता सती का विवाह हुआ था। इस‌‌ दिन तो बाबा के भक्त पुरा दिन बस बाबा के नाम की धुनी रमाए रहते, बाबा भोलेनाथ की पूजा उनको प्रसन्न करने के लिए यह दिन सबसे उत्तम है। वैसे हर मास में शिवरात्रि पड़ती हैं लेकिन फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष की शिवरात्रि महाशिवरात्रि कहीं जाती कि इसी दिन ‌दुनिया के रचयिता भगवान शिव की शादी हुई थी।

      महाशिवरात्रि के दिन हर मंदिर या शिव नगरी में धूम धाम से बारात निकलती है। ढोल नगाड़ों,‌भूत बैताल बनते हैं।‌ इसकी तैयारी सरस्वती पूजा से ही शुरू हो जाती है। हमारे देवघर झारखंड में तो बसंत पंचमी पर बाबा बैद्यनाथ को अबीर चढ़ाने का नियम है। बसंत पंचमी पर बाबा का सगुण होता है फिर बारात निकलती है। 

27 सालों में पहली बार देवघर में शिव बारात नहीं निकाली जाएगी

       महाशिवरात्रि कब है इसका शुभ मुहूर्त जानें....


     महाशिवरात्रि 11 मार्च को पड़ रही है। दिन गुरुवार का हैं। महाशिवरात्रि की पूजा 4 पहरों में होती थी, इसलिए इसके शुभ मुहूर्त हैं शाम 6.27 से 9.29, फिर 9.29 से 12.31 तीसरा पहर 12.31 से 3.32 और अंतिम पहर 3.32 से 6.34। इस दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है।

       महाशिवरात्रि का महत्व...


    महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा करने से प्रसन्न होते हैं। इस दिन पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है, जिन लड़कियों का‌ शादी नहीं हो रहा है महाशिवरात्रि का‌ व्रत अवश्य करें मनचाहे वर की‌ प्राप्ति होगी। शिवरात्रि करने से जीवन में हर‌ सुख, समृद्धि और शांति मिलती है। भगवान शिव की दया के आपके सारे दुख दूर होते हैं। शिवरात्रि पर भारत के प्रमुख शिवमन्दिर


      शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर.....

     बहुत लोगों को ये कंफ्युजन रहता है कि शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या अंतर है तो जानिए कि पहले शिवरात्रि क्या है। भगवान शिव की‌ पूजा करने के लिए मुख्यतः सोमवार और प्रदोष का दिन अच्छा माना जाता है। हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का विशेष महत्व है इस‌ दिन को शिवरात्रि कहा जाता है। इसी दिन को प्रदोष भी कहा जाता है। सावन माह भगवान शिव का प्रिय महीना है तो इस महीने के प्रदोष को बड़ी शिवरात्रि कहा जाता है।

      महाशिवरात्रि यह फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहा जाता है। इस दिन अपने शिव और शक्ति का मिलन हुआ था। यह दिन मनाने का एक और कारण है एक कथा के अनुसार कहा जाता है कि सृष्टि सृजन के समय भगवान विष्णु और ब्रह्मा में किसी बात को लेकर विवाद हो गया। दोनों का झगड़ा हो ही रहा था कि उनके बीच में एक विशाल अग्नि स्तंभ प्रकट हुआ। भगवान विष्णु और ब्रह्मा उसका ओर- छोड़ देखने अपने ‌सवारी‌ वाराह से पाताल और ब्रह्मा हंस से आकाश के ओर गये। दोनों को कोई और छोड़ ना मिला, तभी उस अग्नि स्तंभ से भगवान शिव प्रकट हुए। और वो दिन महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाने लगा।

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