27 सालों में पहली बार देवघर में ‌शिव बारात नहीं निकलेगी

     देवघर जहां द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ मंदिर स्थित है। यहां पिछले 27 सालों से बाबा‌‌ भोले की शादी की‌ बारात निकाली जाती है, इसमें लाखों की‌ भीड़ सड़क पर रहती। लेकिन इस बार यह बारात नहीं निकाली जाएगी, इसका मुख्य कारण है " कोरोना".. अभी बसंत पंचमी पर बाबा बैद्यनाथ को अबीर चढ़ाने वाालों की  भीड़ उमड़ती है। यहां जानें बाबा बैद्यनाथ को अबीर क्यों चढ़ाया जाता है 

       साल 1994 से शिव बारात निकलने की‌ परंपरा शुरू हुई थी, लेकिन इस बार भक्तों को शिव बारात दर्शन का आंनद नहीं ले पाएंगे। कोरोना संक्रमण बढ़ने के खतरे के कारण यह फैसला लिया गया है। देवघर में विश्व प्रसिद्ध सावन मेला हर‌ साल ‌लगता है जहां एक‌ महीने से लगभग 20 लाख‌ से अधिक लोग‌ जल‌ चढ़ाने आते हैं इस साल कोरोना के कारण वो‌ भी‌ बंद रहा था।

      इस कोरोना के कारण पुरी दुनिया अस्त व्यस्त हो गई। अभी‌ माहौल कुछ ठीक है तो भीड़ बढ़ा कर परेशानी हो सकती है,‌ कोरोना का वैक्सिंन तो आ गया है लेकिन ‌सभी लोगों तक पहुंचने में थोड़ा समय तो लगेगा, इसलिए अभी‌ मास्क, सामाजिक दुरी ये सब जरूरी है।‌ इसलिए सरकार ‌हम लोगों की‌‌ सुरक्षा देखते हुए ये फैसला लिया है।

      ना तो देवघर में बाबा भोले के ‌बारात की भव्यता देखते बनती है।‌ शिव बारात हर साल एक ‌थीम पर‌ होती है, बारात में दुल्हा के रूप में बाबा के साथ ब्रह्मा, विष्णु,‌सभी देवताओं की छवि बना, ऋषि मुनि, नंदी,  हाथी, घोड़े, गाजा-बाजा, ऋषि मुनियों का झुंड, राक्षस, भूत बेताल, कीर्तन मंडली, अंग्रेजी बाजा, आर्केस्ट्रा ग्रुप, हर तरह का बाद्य यंत्र,  बजाते हुए बारात, पुरे देवघर को फूलों से सजाया जाता है, बाबा मंदिर पर तो हवाई जहाज से फूलों की‌ बारिश कराई जाती है।

      शिवरात्रि के दिन बाहर‌(‌ पुरे भारत से लगभग)‌‌ लोग पूजा करने आते हैं । सुबह से ही बाबा बैद्यनाथ को जल अर्पित करने वालों का तांता लग जाता है, ,3-4 किलोमीटर दूर तक लाइन लग जाता है, इस कोरोना में ये भीड़ जूटाना सही नहीं होगा इसलिए ‌इस‌ बार‌‌ ये सब स्थिगत ‌कर दिया गया।

      मैं ‌चुंकि देवघर से ही हुं, इसलिए इस बार‌ मन‌ तो बहुत दुखी हैं बारात नहीं निकलने से लेकिन ‌सबकी सुरक्षा भी जरूरी है। पहले बारात देवघर के 6 किलोमीटर रोहिणी से निकलती थी,‌ लेकिन अब‌ ये स्टेडियम से निकलती। बाबा बैद्यनाथ को पिछले सौ डेढ़ सालों से रोहिणी के घटवार और मालाकार परिवार के हाथ के बने ‌मुकुट ही पहनाए जाते हैं। बाबा का मोर मुकुट पहनाया जाता है जो 3 फीट ऊंचा होता है। वैसे बाबा का रोज शाम में श्रृंगार होता है उसके लिए जो मुकुट बनता है वो यहां के जेल‌ में रह रहे कैदियों द्वारा बनाया जाता है।

      देवघर मंदिर के बारे में और जानने की लिए कमेंट अवश्य करें। देवघर के बारे में और जानकारी पढ़ें इस लिंक पर....


    

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