कैकेई जो राम के वनवास का मुख्य कारण मनाई जाती है। कैकई के अवगुण के कारण लोगों ने कैकेई नाम रखना छोड़ दिया। हम इस पोस्ट में आपको कैकई की पूरी कहानी और राम को वनवास भेजने का कारण बता रहे हैं। कैकई को तो कलंकिनी पापिनी कहा गया, लेकिन इसके पीछे भी कुछ कारण था आज विस्तार से उसको जान पाएंगे।
कैकेई कौन थी
महारानी कैकेई कैकेय देश के महाराजा अश्वपति की पुत्री थी। महाराज अश्वपति को घोड़ों का देवता समझा जाता था। उन्हें वरदान था कि वो सभी जानवरों की भाषा समझ सकते हैं। महारानी 7 भाइयों की एक अकेली बहन थी। उनको कोई चीज का कमी नहीं था वैसे तो लेकिन एक कमी थी मां की..
महाराज अश्वपति ने अपनी पत्नी को महल से निकाल दिया था। क्योंकि वह उनके सुखी जीवन के लिए सही नहीं थी।एक बार की बात है महाराज अश्वपति और उनकी पत्नी बाग में टहल रहे थे। वहां दो हंसो का जोड़ा बात कर रहा था।अश्वपति उनका बात सुन मुस्करा दिए।बस महारानी ने पूछा क्या बात है वो टाल गए, लेकिन महारानी जिद पर अड़ी रही। महाराज अश्वपति को वो बात बताने पर जीवन पर बन आती उन्होंने बताया तो भी वो बात जानने के लिए अड़ी रही।
महाराज अश्वपति को लगा जिसे मेरी जिंदगी की चिंता नहीं वह परिवार के लिए ठीक नहीं है।तो उनको महल से बाहर निकाल दिया। कैकेई उस समय बहुत छोटी थी उनकी देखभाल के लिए उन्होंने मंथरा को रखा। मंथरा बहुत चालाक थी उसने जल्द ही अपने चालाकी से कैकेई के मन में एक विशेष जगह बना ली।और उनकी खास दासी बन गई।
राम के वनवास जाने का कारण.....
राम के वनवास जाने का कारण पुरी दुनिया कैकेई को मानती है। लेकिन कैकेई अपने ऊपर सारा कलंक ले कर राम को वनवास भेजें। कैकई राम को सबसे ज्यादा मानती थी, अपने पुत्र भरत से कहीं ज्यादा। रामचरितमानस के अनुसार- राम का जन्म ही राक्षसों और खास कर रावण के वध के लिए हुआ था। राम अगर राजा बन राज करने लगते तो रावण को कौन मारता। ये सब भगवान की रची साजिश थी।
सभी देवता मिल मंथरा की जिह्वा पर सरस्वती को भेजें जो कैकेई को राम के खिलाफ भरकाती रही। सरस्वती जी कैकेई के दिमाग को भी उसी तरह कर दिए कि वो राम को वनवास भेजने और राज गद्दी छोड़ने को बोली।
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