मैं जब छोटी थी तो मेरे घर के 50 मीटर दूर ताड़ का एक पेड़ हुआ करता था। पहले तो गांव घर का घर होता था जिसमें चारों ओर घर बीच में बड़ा सा आंगन, गर्मी के दिनों में वहीं चारपाई लगा कर सब सोते थे। मैं बचपन से ही डरपोक किस्म की प्रजाती रही हुं।रात में जब सब सो जाते तो उस ताड़ पेड़ पर पता कहां से भूत आ जाता था, मैं डर के मारे उस गर्मी में भी चादर ओढ़ मुंह ढक कर सो जाती, लगता मुंह ढक कर सो जाएंगे तो भूत शायद ना पकड़े। लेकिन वहां कोई भूत होता ही नहीं था वहां तो बस हवा के हिलने से पत्ते हिलते थे और कुछ ना था।
जुगनू रहते थे जो चमकते रहते थे। लेकिन मुझे डर इतना लगता था कि उसके लिए मैं 5-6 साल की रही होंगी, मैंने सुना था हनुमान जी का नाम लेने से डर भाग जाता । मैं पुरा हनुमान चालीसा याद करके रखी थी। मेरे बाबा कहते थे जब भी डर लगे हनुमान जी को याद करो डर खुद भाग जाएगा। 10 के इक्जाम देने तक मुझे अकेले रहने से डर लगता रहा भूतों का और मैं हनुमान चालीसा पढ़ती रही।
लेकिन धीरे-धीरे जैसे जैसे जिम्मेदारी बढ़ती गई भूत भी भागता गया। डर अब भी लगता लेकिन डर के रूप अब बदल गए। अब डर भूत से नहीं लगता अब डर का कारण शायद ये जिम्मेदारी है। हमेशा मन में ये डर रहता कहीं ऐसा करने से ये काम ना बंद हो जाए , कहीं वो खराब ना हो जाए। जब कभी बच्चे, पति कोई अपना घर से लेट आए मन में अजीब ख्याल आने लगते हैं, किसी का तबीयत खराब हो या कुछ भी अपने जीवन में हो हमारे ऊपर डर हावी रहता, उस समय सिवाय ऊपर वाले के कोई अपना नहीं होता है। इसलिए
जुगनू रहते थे जो चमकते रहते थे। लेकिन मुझे डर इतना लगता था कि उसके लिए मैं 5-6 साल की रही होंगी, मैंने सुना था हनुमान जी का नाम लेने से डर भाग जाता । मैं पुरा हनुमान चालीसा याद करके रखी थी। मेरे बाबा कहते थे जब भी डर लगे हनुमान जी को याद करो डर खुद भाग जाएगा। 10 के इक्जाम देने तक मुझे अकेले रहने से डर लगता रहा भूतों का और मैं हनुमान चालीसा पढ़ती रही।
लेकिन धीरे-धीरे जैसे जैसे जिम्मेदारी बढ़ती गई भूत भी भागता गया। डर अब भी लगता लेकिन डर के रूप अब बदल गए। अब डर भूत से नहीं लगता अब डर का कारण शायद ये जिम्मेदारी है। हमेशा मन में ये डर रहता कहीं ऐसा करने से ये काम ना बंद हो जाए , कहीं वो खराब ना हो जाए। जब कभी बच्चे, पति कोई अपना घर से लेट आए मन में अजीब ख्याल आने लगते हैं, किसी का तबीयत खराब हो या कुछ भी अपने जीवन में हो हमारे ऊपर डर हावी रहता, उस समय सिवाय ऊपर वाले के कोई अपना नहीं होता है। इसलिए
जब डर या चिंता तो तब ये मंत्र पढ़ें...
"ऊं हनुमते नमः" जब इच्छाशक्ति और साहस की कमी से भय और चिंता सताने लगे, उस समय हनुमान जी का मंत्र मन ही मन जाप कीजिए सब ठीक होगा।
ऊं त्र्यंबकं यजामहे सुगंधि पुष्टि वर्धनम उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्। मनुष्य का सबसे बड़ा डर मृत्यु का होता है। मरने के डर से आजादी हमें जीवन के आधे से ज्यादा बाधाओ से मुक्त कर सकती हैं। यह मंत्र भगवान शिव का है। भगवान शिव के पास सभी मनुष्यों को मृत्यु और जीवन के बंधन से मुक्त कर यह मंत्र है। जब आप मृत्यु से डर रहे होते हैं इस मंत्र का जाप स्वयं करें या किसी से करवाएं तो या तो आपको जीवन मिलता है या मोक्ष।
" हनुमान बाहुक" जब शरीर में किसी प्रकार की असहनीय पीड़ा हो हनुमान बाहुक की किताब रोज पढ़ें कष्ट से राहत मिलेगी।
" हनुमान बाहुक" जब शरीर में किसी प्रकार की असहनीय पीड़ा हो हनुमान बाहुक की किताब रोज पढ़ें कष्ट से राहत मिलेगी।
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