पितृपक्ष शुरू हो गया है इसमेें कौवों और गाय को भोजन कराने से आपके पूर्वज खुश होंगे और आपको आशिर्वाद देंगे। जिससे आपके घर में धन-संपत्ति में वृद्धि होगी। भादो पूर्णिमा से आश्विन के अमावस्या तक पितृपक्ष में ब्राह्मण को भोजन खिलाया जाता है साथ ही पंचबलि यानी गाय, कुत्ते, कौवों, देवता और चींटी को खीर पुरी खिलाया जाता है।
इनको क्यों खिलाया जाता है जानें.....
कुत्ता को जल तत्व का प्रतीक माना जाता है। चींटी को अग्नि तत्व का, गाय पृथ्वी तत्व और कौवा वायु तत्व और देवता आकाश तत्व का प्रतीक हैं।इस तरह पांचों को भोजन देकर पांचों को आभार व्यक्त करते हैं।
कब से शुरू हो रहा है पितृपक्ष
गाय के बारे में कहा जाता है कि वैतरणी नदी वहीं पार कराती है। और गाय में एक साथ पांचों तत्व पाए जाते हैं। इसलिए गाय की सेवा विशेष फलदाई है। गाय की सेवा करने, उसको चारा खिलाने से पितरों को मुक्ति मिलती है।
गरुर पुराण में वर्णित है कि कौवे यमदूत के वाहक है। पितृपक्ष में जो ये खाना खाते हैं उससे यमलोक में पितरों को तृप्ति मिलती है। कौवे को अच्छे भाग्य का सूचक भी कहा गया है। किसी के आने की खबर सबसे पहले कौवा देता है।
एक कथा के अनुसार कौवा को देवपुत्र कहा गया है। एक बार इंद्र के बेटे जयंत ने माता सीता को कौवा बन घायल कर दिया था। तब भगवान राम ने ब्रह्मास्त्र चला कौवा का एक आंख घायल कर दिया। तब उसने क्षमा मांगा तो भगवान राम ने उसे वरदान दिया कि अगर उसे जो खाना खिलाएगा वह पितरों को अर्पित होगा।
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