पिंडदान क्या है और कैसे होता है

     13 सितंबर से पितृपक्ष शुरू होने वाला है। इसमें हम अपने पूर्वजों को याद कर उनको पिंडदान करते हैं। अब प्रश्न ये आता है कि पिंडदान क्या है और कैसे होता है। हम विस्तार से आपको पूरी कहानी बताएंगे।गया में पिंडदान क्यों होता ये सब‌ आप जानेंगे।



     पिंडदान क्या है और कैसे होता है

   किसी गोल आकार को पिंड कहते हैं। शरीर को भी प्रतिकात्मक एक पिंड ही‌ समझा जाता है। जब हम पिंड‌ देते हैं तो पितरों को अर्पित करने वाले चीज यह पिंड चावल और जौ के आटे, काले तिल तथा घी को मिलाकर घोल आकार में कर दिया जाता है। यह प्रथा वैदिक काल से चली आ रही है। पितरों को आवाहन किया जाता है कि वे ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌ अपने वंशजों को धन, समृद्धि और शक्ति प्रदान करें।

     पिंड देते समय दक्षिण मुंह चूम कर , आचमन कर अपने जनेऊ को दाएं कंधे पर रखकर तब पिंडदान किया जाता है। जल में काले तिल, कुश,‌‌‌‌और सफेद फूल मिलाकर जल से विधिवत तर्पण किया जाता है। कहते हैं ऐसा करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती होगी। फिर ब्राह्मण भोजन कराया जाता है।

       गया में ही पिंडदान का क्या महत्व है....

     पिंडदान तो भारत में बहुत जगह होता है लेकिन गया में पिंडदान का सबसे ज्यादा महत्व बताया गया है।गया को मोक्ष की नगरी कही गई है। यहां स्वयं भगवान विष्णु विराजते हैं। माना जाता है कि यहां विष्णु भगवान पितृ देवता के रूप में विराजमान हैं. फल्गु नदी के तट पर पिंडदान दिए बिना पिंडदान का ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌महत्व नहीं है। पौराणिक कथा के अनुसार... 

   भस्मासुर के वंश में एक गयासुर था जो ब्रह्मा जी की सालों तपस्या की। ब्रह्मा जी खुश हो कर बोले -" मैं तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न हुं मांगों क्या मांगते हो तो गयासुर बोला मुझे ऐसा वरदान दीजिए कि लोग मुझे देखे तो उनके सारे पाप खत्म हो जाए। मुझे देवता जैसे पवित्र कर दो". ब्रंह्मा जी तथास्तु कहकर अंतर्ध्यान हो गए।

  ‌‌‌‌   इस वरदान के बाद लोग पाप करने के बाद गयासुर का दर्शन करते और‌ पापमुक्त हो‌ स्वर्ग चले जाते।‌ स्वर्ग में लोगों की संख्या बढ़ने लगी। यह प्रकृति के नियम के विरुद्ध था। इस सब से बचने के लिए देवताओं ने गयासुर से यज्ञ के लिए कुछ पवित्र जगह मांगी, गयासुर ने अपना शरीर ही दे दिया। वह‌ यज्ञ वेदी के लिए लेटा तो 5 कोस में फ़ैल गया। यही 5 कोस बाद‌ में जाकर गया बन‌ गया। गयासुर के मन से अभी भी लोगों को पापमुक्त करने की इच्छा ना गई।‌ उसने कहा भगवन‌ यह जगह लोगों को तारने वाला ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌ बना रहे तब भगवान ने कहा जा भी यहां आ कर श्राद्ध करेगा उसको मुक्ति मिलेगी।‌‌‌‌तब से गया श्राद्ध के लिए जाने जाना लगा।

    
    
   

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