कुलदेवी - देवता या गृह देवता के बारे में कुछ बात अवश्य जानें

     आज के समय में हमलोग पूजा पाठ से दूर होने लगे हैं। मंदिर जाना या यात्रा करना ‌‌‌‌बस‌ एक tour करने जाते। अपने मनोरंजन के लिए, भावना से कम लोग ही जाते हैं।‌‌‌ वैसे ‌‌‌काम धंधे के सिलसिले में घुमना‌ फिरना भी हो‌ जाता और भगवान के दर्शन भी‌ हो लिए। घर पर है तो जगे चाय नाश्ता ‌‌‌हुआ और जल्दी office पहुंचना है, तो शायद पूजा भी ठीक से नहीं कर पाते हैं। आजकल नौकरी के कारण या शहर में अच्छी facility की तलाश में गांव घर सब छुट गया।



    अब याद किजिए जब आप गांव से कहीं जाते आते थे तो मां घर में रहने वाले देवी देवता को प्रणाम करने कहते थे। वो हमारे कुल देवी देवता हैं। हमारे वंश के देवता। हर गांव हर मुहल्ले में पहले एक कुल देवी देवता होते थे।हम अपने खानदान, वंश के पूर्वजों को पूजते थे बदले में वो‌ हम पर सदैव आशीर्वाद बनाए रखते थे।

    हम बिहार से है तो हम यहां देखते थे कि हमारे पुरे गोतिया घर में एक सिरा( कुल वंश देवता) होता था। जिसको हर कोई ना पुजता था, कोई ना कोई विधवा दादा होती थी जो हर अमावस्या, पूर्णिमा गोबर से लीपकर, धूप दिखा देती। किसी शादी विवाह, श्राद्ध, जनेऊ, या कोई भी पूजा पाठ हो सबमें कुल देवी देवता को चढ़ाया जाता था।

    फिर धीरे धीरे परिवार बढ़ता गया और लोग अपना कुल देवी देवता अलग करते गये। देवता एक मिट्टी की बनी पिंडी होते हैं जिन्हें लोग पूजा कर‌ विधि विधान से अलग करते हैं।

    कुल देवता होते कौन है

    प्रत्येक हिंदू धर्म किसी न किसी ऋषि के वंशज हैं। हमारे गोत्र उन्ही के आधार पर है, जैसे मैं काश्यप गोत्र से हुं तो हमारा कुल कश्यप ऋषि के वंशज हुए। कश्यप ऋषि को‌ हम लोग ‌‌‌कुल देवता के रूप में पूजने लगे। या फिर हमारे परिवार के कोई बुजुर्ग जो आध्यात्मिक या परालौकिक शक्ति रखते थे, जिनपर हमारे पुरखों की विशेष कृपा हुई उनको‌ भी कुल देवी देवता में गिनते हैं।

     आज के समय में जब हम लोग ‌‌‌‌घर‌ छोड़ कर निकल गये जब कुल देवी देवता को पुजने भी नहीं जा पाते, तो कभी कभी ये हमारे लिए बहुत हानिकारक सिद्ध होता, घर में शारीरिक, मानसिक, आर्थिक हर तरह की‌ परेशानी से घिर जाते। कभी कभी आप परेशानी‌ में किसी पंडित के पास जाते तो कहते कि कुल देवी देवता रुष्ट है उसका यही कारण है।

     हरेक वंश कुल देवता की पूजा अलग अलग होती है। हमलोग के यहां मुंडन सबसे पहले कुलदेवी के यहां होता है फिर कहीं और। शादी के समय दुल्हन की विदाई के वक्त भी 3 फेरा कुल देवी देवता के सामने करते हैं कि उनका आशीर्वाद बना रहे।

     अगर आप भूल गए हैं कि आपके कुल देवी देवता कौन है या फिर उनको कैसे पूजे तो करें ये उपाय....

     किसी अच्छे पंडित पहले शुभ मुहूर्त जान लें फिर उस दिन गंगा नदी के किनारे का मिट्टी यामिट्टी ना मिलने पर पानी वाला नारियल लें लें और किसी पास के माता मंदिर जाांए वहां पंडित जी के साथ पुरे विधि विधान से  कुल देवता
स्थापित कर सकते हैं।

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