देश के अलग-अलग हिस्सों की जन्माष्टमी

     आज देश भर में जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है। यह हिंदू धर्म के सबसे बड़े पर्वों में से एक है। यह कहीं कहीं कल भी मनाईं जाएगी। भगवान कृष्ण का जन्म भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था। भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव बहुत धुमधाम से मनाते हैं। ये विष्णु भगवान के आठवें अवतार है। देश के हर हिस्से में सब अलग अलग ढंग से मनाते हैं। मथुरा वृन्दावन में तो एक अलग ही मौज रहती इन दिनों। 15 दिनों तक मेला लगता है। इस‌ दिन सभी लोग व्रत रखते हैं, घरों से झांकियां निकाली जाती है।

    भगवान का झुला लगाया जाता है। रात भर भजन-कीर्तन होता है। दही हांडी प्रतियोगिता होती है, जिसमें ढेर सारे बच्चे झुंड बनाकर मटकी फोड़ते हैं। सभी उम्र के बच्चों का अपना समुह रहता जो मटकी फोड़ प्रतियोगिता में भाग लेते। जानिए देश के अलग-अलग हिस्सों में कैसे मनाते जन्माष्टमी.....

    मथुरा वृन्दावन- यहां तो भगवान का जन्म ही हुआ। यहां खेले बड़़े हुए। कण कण में यहां विराजते हैं। यहां तो लोग आस्था श्रद्धा में डुबे हर घर में जन्माष्टमी मनती है। हर घर में बच्चे राधा कृष्ण बन तैयार होते हैं। महिलाएं व्रत रखती है,शाम में मक्खन और पकवान बनाती है। झांकी निकाल सब मंदिर पहुंच जाती वहां घंटों भजन कीर्तन के बाद रात 12 बजे खीरा से भगवान का जन्म होता है। फिर उनको दुध, दही, घी, शहद और गंगाजल से स्नान करा मक्खन, मेवा, पंचामृत का भोग लगाया जाता है। सुंदर कपड़े पहना उनको झुले पर झुलाया जाता है। फिर सब प्रसाद ले अपना व्रत खोलते हैं। इस समय देश विदेश से लोग‌ यहां आते हैं।‌ यहां के हर मंदिर की एक अलग बात ही होती है।

    महाराष्ट्र - महाराष्ट्र में ऊंचे ऊंचे घर के बीच मिट्टी का मटका बांधा जाता है, जिसमें माखन मिश्री भरा हुआ रहता है। मटकी फोड़ प्रतियोगिता होता जिसमें बहुत सारे बच्चे को कान्हा और बाल सखा बन जाते हैं और मिनार बना कर मटकी फोड़ते है। उनपर पानी, रंग, गुलाल की बौछार सब राधा और गोपियां बन करते हैं। बहुत सुंदर लगता है ये दृश्य यहां का। लगता है असली के कृष्ण आ गए और मटकी फोड़ रहे।

  द्वारका - गुजरात द्वारका में जन्माष्टमी बहुत ही सुन्दर मनाया जाता है। यहां भगवान कृष्ण की कर्मभूमि है यहां। यहां द्वारका को  फूलों से सजाया जाता है। मंदिर में सुबह से ही पुजा होती है। यहां उनके बाल लीलाओं को बच्चे नाटक रुप में करते हैं। मटकी फोड़ना, गोपियां के यहां माखन मिश्री खाना, गोवर्धन पर्वत उठाना, कालिया नाग को मारना और भी कई सारे उनके कहानियां का नाट्य रूपांतरण करते हैं।

    दक्षिण भारत- यहां भी जन्माष्टमी अपने आप में अनोखा है। वहां इस दिन घर की साफ-सफाई कर घर के सामने रंगोली बनाते हैं। इस्कान मंदिर में दर्शन करने जाते हैं। भजन कीर्तन करते हैं। यहां मुख्य फोकस रोहिणी नक्षत्र का होता है, कहते हैं भगवान कृष्ण का जन्म रोहिणी में हुआ तो वो रात में पूजा अर्चना करते।

  

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