भूमिहार की शान संप्रदा बाबू नहीं रहे

       भारत के पांचवीं सबसे बड़ी कंपनी के मालिक संप्रदा बाबू नहीं रहे। जी हां ये वही संप्रदा बाबू है जो एल्केम लैबोरेटरी के मालिक। ये भारत के 100 अमीरों में से एक है। एक छोटी दवा कंपनी शुरुआत की आज आधी‌ दुनिया में अपनी कंपनी की दवाओं को बेचते हैं। ये बिहार के छोटे से गांव ओकरी से हैं, जिला जहानाबाद पड़ता है।


    ब्रह्मर्षी समाज से थे, उन्होंने समाज के लिए बहुत कुछ किया भी। कुछ लोग जब बड़े बन जाते अपनों को भूल जाते। लेकिन संप्रदा बाबू हमेशा समाज के हर छोटे बड़े की सभी तरह से मदद की। बिहार में रोजगार बढ़ाने के लिए इन्होंने सौ करोड़ की एग्रो फूड युनिट स्थापित करने में कार्यरत हैं।

     माता पिता इनको डाॅक्टर बनाना चाहते थे, लेकिन उस समय पैसा और साधनों की बहुत कमी थी। डाॅक्टर तो नहीं बन‌ पाये लेकिन वो कर गए कि हर डाक्टर इनकी‌ बनाई दवा जरुर अपने मरीजों को देता....

     सबसे पहले संप्रदा बाबू और इनके भाई वासुदेव सिंह, जो आज कल एल्केम कंपनी संभाल रहे। दोनों भाई पहले पटना में एक दवा दूकान पर काम किया, फिर खुद की दवा दुकान खोल ली लेकिन संप्रदा बाबू की किस्मत तो कहीं और बुला रही थी। 1973 में मुंबई की ओर रुख किया, लोगों से उधारी लेकर खुद की दवा कंपनी खोल ली।

    कहते हैं ना जब ऊपर वाला‌ मेहरबान हो जाय तब कोई रूकावट रोक नहीं सकती। वहां एक दवा से शुरू किया आज 700 ब्रांड है इनका। टाॅप 50 फार्मास्युटिकल ब्रांड के दवा‌ में 5 इनका एल्केम कंपनी का दवाई है। एल्केम कंपनी जेनेरिक्स दवाएं भी बनाती है।

    94 साल की उम्र में मुंबई में इन्होंने अंतिम सांस ली।

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