चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल से शुरू हो रहा है। शनिवार को प्रतिपदा है।इस दिन कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि प्रारंभ हो जाता है। नौ दिन माता की पूजा होती है। सबसे पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। माता शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री है। शैलपुत्री नंदी नाम के बैल पर सवार होती है और इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल है।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
कलश स्थापना का 2 अप्रैल शनिवार से शुरू हो रहा । कलश स्थापना में सामान की लिस्ट पहले ले आते उस समय आपको आसानी होगी। कलश स्थापना के लिए माता की फोटो, माता का आसन, दुर्गा सप्तशती कि किताब,कलश, गंगा जल, चंदन,पान का पत्ता, नारियल, रोली, मौली, चावल, मिट्टी, जौ, सुपारी,घी,रुई, अगरबत्ती,धूप,सिंदुर ,आम का पत्ता, दुब,लौंग, इलाइची, दीया, माचिस,कपुर,श्रृंगार का सामान, बैठने के लिए आसान, फल, प्रसाद के लिए शक्कर या माता के पसंद का बतासा, लड्डू, इत्यादि समान पहले जुटा लें।
माता शैलपुत्री की पूजा
मां शैलपुत्री को करुणा और ममता की देवी कहा जाता है। शैलपुत्री प्रकृति की भी देवी हैं। ध्यान लगा कर इनकी पूजा करने से मनोवांछित फल मिलता है। इनकी पूजा पीला कपड़ा पहन कर किया जाता है। मां शैलपुत्री को इन मंत्रों से प्रसन्न किया जाता है।
ऊं देवी शैलपुत्र्यै नमः।।
वन्दे वांछितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
पुणेन्दु निभां गौरी मूलाधार स्थितां प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
पटाम्बर परिधानां रत्नाकिरीटा नामालंकार भूषिता।।
प्रफुल्ल वंदना पल्लवाधरां कातंकपोलां तुग कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां स्नेमुखी क्षीणमध्यां नितम्बनीम्।।
माता शैलपुत्री के चढ़ने वाले फूल और प्रसाद
माता शैलपुत्री को सफेद वस्त्र और सफेद फूल चढता है। माता को बर्फी या मौसमी फल चढ़ाएं।
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