महिला दिवस के चोंचले

      आज विश्व महिला दिवस है। पुरी दुनिया आज इसे बहुत‌ खुशी  साथ मना रही हैं। लेकिन क्या म‌हिलाएं आज आजाद हैं, क्या महिलाएं सुरक्षित है, क्या समाज में उनको उचित स्थान मिला है। आज भी महिलाओं को देखा जाए तो वहीं 100 साल पहले वाली है। हां कुछ हद तक सुधार जरुर हुआ है। महिलाओं के रहन सहन में, कुछ प्रतिशत आवाज भी उठाती हैं। महिला दिवस पर एक कहानी बताती हूं।

   शर्मा जी शहर के प्रतिष्ठित लोगों में से थे, महिला दिवस पर उनको विशेष रूप से भाषण देने और महिलाओं की समाज में स्थिति पर उन्होंने बहुत काम भी किए। भाषण के बाद उनको सम्मानित किया गया, शाॅल ओढ़ाया गया , लोगों ने उनके लिए तालियां बजाईं। जैसे ही घर की ओर रुख किया।

   आते ही घर पत्नी पर जोर से चिल्लाए, कहा मर गई मेरा जूता कौन उतारेगा तेरा बाप। पत्नी दौर के आई उनका जूता उतारने लगी डरते डरते  बोली ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌बड़ी बेटी का फोन आया, बोली रात फिर दामाद जी शराब के नशे में उसके साथ मार पीट की, किसी को भेज दें मैं यहां नहीं रहुंगी अब। रोज रोज के मार से अच्छा है तुम्हारे पास रहे, वहीं कुछ कर लेंगे।

     शर्मा जी ने जोड़ से पैर झटका पत्नी गिर गई। बोले सब तुम्हारी गलती है। बेटी को सिखाया क्यों नहीं कैसे रहते हैं ससुराल में। थोड़ा मार खा ही लेगी तो क्या होगा। यहां आकर मेरा नाक कटाएगी। पत्नी कुछ नहीं बोली चुपचाप सुन कर फिर जूते उतारने लगी ‌।

   आज समाज की स्थिति ऐसे ही है ‌‌‌‌आज पुरी दुनिया विश्व महिला दिवस मनाने में लगी है।आज भी ना जाने कितनी लड़कियों को कोख में मार दिया होगा, कितनों के साथ गलत व्यवहार किया हो पता नहीं। आपसे यही अनुरोध है महिला दिवस मनाये या नहीं मनाएं लेकिन कम से कम महिलाओं की इज्जत जरुर करें।

   साथ काम करने का सरकार ने कह तो दिया लेकिन साथ काम करने वाले पुरुष आज भी इनको कोई लायक नहीं समझते, इनका शोषण करते हैं। बस, रेल जहां जाएं कहीं महिलाएं सुरक्षित नहीं है। बच्चियां तक सुरक्षित नहीं है। मैं महिला दिवस को उस दिन कारगर मानुंगी जब अकेले महिला कहीं भी आने-जाने डरना छोड़ देगी। जब पति , पिता , बेटा ,दोस्त हर कोई उसको अपनी जिम्मेदारी नहीं अपना हिम्मत समझने लगेंगे। हम सब प्रण लें कि ऐसी दुनिया हम अपने आने वाली पीढ़ी को जरुर देंगे।

 
 

 

   

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