बंगाल में दुर्गा पूजा की तैयारियां काफी पहले ही शुरू हो जाती हैं। यहां पंचमी से दुर्गोत्सव की शुरुआत होती है। महाकाली की नगरी कोलकाता में तो पांच दिनों तक श्रद्धा और आस्था का ज्वार थमने का नाम ही नहीं लेगा।इन पूजा के चार दिनों में सभी लोग खुशियां मनाते हैं। जिस प्रकार लड़की विवाह के बाद अपने मायके आती है, उसी प्रकार बंगाल में श्रद्धालु इसी मान्यता के साथ यह त्योहार मनाते हैं कि दुर्गा मां अपने मायके आई हैं।
'सिंदूर खेला’ की पंरपरा को हर साल देवी की विदाई के वक्त पूरी की जाती है। इसे सिंदूर की होली भी कहा जाता है। पारंपरिक सफेद-लाल साड़ी में महिलाएं इसे मनाती हैं। यही वजह है कि पूजा के आखिरी लम्हें लोगों के दिलों में सालभर के लिए कैद हो जाते हैं। श्रद्धालु इस दिन का सालभर इंतजार करते हैं।
माना जाता है कि दुर्गा पूजा की शुरुआत सांस्कृतिक भूमि मानी जानेवाली बंग भूमि अर्थात बंगाल से हुई। लेकिन आज पूरे देश में दुर्गापूजा का अनुष्ठान हर्षोल्लास से किया जाता है। इस दौरान दुर्गा मां की नई मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा कर नौ दिन तक विधि-विधान से पूजन किया जाता है और फिर उन्हें विदाई देते हुए बहते जल में प्रवाहित किया जाता है।
कलकत्ता का दुर्गा पूजा हमेशा से पंडाल को लेकर फेमस रहा है। वहां पंडाल हमेशा कुछ अलग थीम पर बनते हैं। पिछले साल बाहुबली फिल्म के माहेशमति साम्राज्य का पंडाल था। आइए जानें कि इस बार कैसा कैसा पंडाल लोगों का ध्यान आकर्षित करेगा।
इस बार कोलकाता में नवरात्र के दौरान एक दुर्गा पूजा मंडप को पद्मावती के महल की थीम पर बनाया जा रहा है। इसमें आपको पद्मावती के उस महल की भव्य छटा देखने को मिलेगी। शहर से मोहम्मद अली पार्क में राजस्थान के चितौड़गढ़ की रानी पद्मावती के महल की आकृति में दुर्गा मंडप नजर आएगा।
कोलकाता के संतोषपुर लेक पल्ली क्षेत्र में चार टन हल्दी से भव्य पंडाल बनाया-सजाया जा रहा है।पंडाल बनाने में 80 फीसद सूखी-साबुत हल्दी और 20 फीसद पिसी हल्दी का प्रयोग किया जाएगा। पंडाल के अंदर-बाहर, सब जगह हल्दी ही हल्दी नजर आएगी। पूरा पंडाल इसकी खुशबू से महक उठेगा।
कोलकाता के बेहाला में यह पंडाल होमोसेक्सुअलिटी की थीम पर बनाया गया है। इस पंडाल में ग्लूकोजे के बोतल, ट्यूब और पट्टियों का इस्तेमाल करके ट्रांसजेंडर समुदाय की दुर्दशा और दिक्कतों को दर्शाया जाएगा।
फुटपाथ पर लोग सजावट की बहुत सारी सामग्री बेचते हैं। दुकानों से लेकर शॉपिंग मॉल तक हर जगह भीड़ का रेला दिखाई पड़ता है। सभी अपनी-अपनी पसंद की चीजें खरीदते हैं। लोग अपने परिजनों, संबंधियों को वस्त्र आदि उपहार स्वरूप देते हैं। विजयादशमी के दिन मां का विसर्जन होता है।
कम से कम एक बार जरूर जाएं कलकत्ता और वहां दुर्गा पूजा का मेला देखें।मन को मोह लेने वाले होते हैं। वहां जाकर पता चलता है कि आज तक आप क्या मिस किए हैं अपनी जिंदगी में।




2 Comments
Jay ambe gauri .... The culture of Bengal is incredible
ReplyDeleteThank you
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