एम.करुणानिधि का निधन हो गया। पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। कावेरी अस्पताल चेन्नई में अंतिम सांस ली। कल से उनकी तबीयत बहुत खराब हो गई थी। उनके बारे में जानें..
दक्षिण भारत की राजनीति में अपना एक अलग पहचान बनाई। इनके चाहने वालों की भीड़ लगी हुई है कि एक अंतिम दर्शन कर लें. इस भीड़ के कारण सुरक्षा इंतजाम भी बढ़ा दिया गया है।
3 जून को उनका 94 वां जन्मदिन मनाया गया है। अभी 26 जुलाई को 50 साल पुरे किए उन्होंने डीएमके पार्टी में। लंबे समय से उनके किसी भी चुनाव में ना हारने का रिकॉर्ड रहा है। वे 5 बार मुख्यमंत्री और 12 बार विधानसभा सदस्य रहे हैं।
वे अभी तक कोई किसी भी सीट से हारे नहीं है।1969 से वो सीएम के पद पर पहली बार बने 2003 में पद छोड़ा।
करुणानिधि ने अपने जीवन में तीन शादियां की, जिसमें उनकी पहली पत्नी का नाम पद्मावती, दूसरी पत्नी का नाम दयालु अम्माल और तीसरी पत्नी का नाम रजति अम्माल हैं। पद्मावती का निधन हो चुका है, जबकि दयालु और रजती जीवित हैं।
अपनी पार्टी के प्रति बहुत वफादार थे करुणानिधि।एक बार उनकी पत्नी आखिरी सांस गिन रही थी और इधर पार्टी मीटिंग होना था। वो पार्टी मीटिंग में शामिल हुए जिससे उनके कार्यकर्ता में उनके प्रति श्रद्धा और बढ़ गई।
महज 14 साल की उम्र में पढ़ाई छोड़ करुणानिधि सियासी सफल पर निकल पड़े. दक्षिण भारत में हिंदी विरोध पर मुखर होते हुए करुणानिधि 'हिंदी-हटाओ आंदोलन' की तख्ती लेकर चल पड़े. 1937 में स्कूलों में हिन्दी को अनिवार्य करने पर बड़ी संख्या में युवाओं ने विरोध किया, करुणानिधि भी उनमें से एक थे. इसके बाद उन्होंने तमिल भाषा को अपना हथियार बनाया और तमिल में ही नाटक, अखबार और फिल्मों के लिए स्क्रिप्ट लिखने लगे.
तमिल भाषा के प्रति उनका प्यार देखते हुए पेरियार और अन्नादुराई ने उन्हें 'कुदियारासु' का संपादक बना दिया। हालांकि जब पेरियार और अन्नादुराई के बीच मतभेद पैदा हुआ तो करुणानिधि ने अन्नादुराई के साथ चुना
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