भगवान शंकर को रुद्राक्ष अतिप्रिय है। लोग इसे धारण कर बाबा की पूजा करते हैं। बाजार में बहुत प्रकार के रुद्राक्ष मिलते हैं। एकमुखी रुद्राक्ष से तेरहमुखी रुद्राक्ष तक होते हैं। पंचमुखी रुद्राक्ष का विशेष महत्व होता है।इसको धारण करने से भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद बना रहता है। इसे धारण करने वाले को विशेष सावधानियां बरतने की जरुरत होती है। इसको पहनने से हृदय संबंधित बीमारियां, तनाव, चिंता, रक्त दबाव आदि को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इसलिए आज हम आपको पंचमुखी रुद्राक्ष को धारण करने की प्रक्रिया बता रहे हैं।
रुद्राक्ष पहनने से पहले कुछ बातों को पहले जान लें...
रुद्राक्ष हमेशा किसी शिव मंदिर में किसी पंडित से लें।
उसके बाद उसे अभिमंत्रित कर तब धारण करें।
किसी पंडित से किसी शुभ मुहूर्त में पूजा कर अभिमंत्रित कर रुद्राक्ष को धारण करें।
इसे हर समय पहना जा सकता है। हालांकि, कई लोग किसी के अंतिम संस्कार में जाने पर या जब किसी नवजात शिशु के जन्म लेने पर इसे धारण नहीं करते हैं। यह माना जाता है कि चूंकि यह एक उच्च ऊर्जा का संवाहक है इसलिए इसे ऐसे स्थानों में पहनना सही नहीं होता है।
रुद्राक्ष कभी भी अशुद्ध हाथ या गंदे हाथों से नहीं छूना चाहिए।
अगर इसे रोज नहीं पहन सकते तो पुजा रुम में एक साफ डब्बा में रख कर पुजा करें।
रुद्राक्ष हमेशा अपने कमाई के पैसे से लें, किसी से उधार ले कर नहीं।
यह सुनिश्चित करें कि जिस भी धागे या कड़ी से रुद्राक्ष जुड़ा हुआ है वह मजबूत और स्वच्छ हो। इसके कमजोर होने पर धागे को कुछ अंतराल पर जरूर बदले।
रुद्राक्ष पहनने कर मांस या मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
रुद्राक्ष सामान्यतः सोमवार या गुरुवार को ही पहनना चाहिए।
नियमित रूप से रूद्राक्ष की माला को साफ करें। धूल या गंदगी को इनके छिद्रों में जमा न होने दें। सफाई के बाद, पवित्र पानी से मोती धो लें। इससे यह सुनिश्चित होता है कि रुद्राक्ष स्वच्छ और पवित्र है।
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