आषाढ़ महीना के शुक्ल पक्ष के द्वितीय को पुरी जगन्नाथ यात्रा शुरू होती है।इस यात्रा में भारत के हर क्षेत्र से लोग आते हैं। कुछ विदेशी भी इस यात्रा में शामिल होते हैं। उड़ीसा का सबसे बड़ा भव्य पर्व है। 9 दिन के इस यात्रा में दुनिया भर के लोग भरे रहते हैं।
इस साल यह 14 जुलाई से शुरू हो रही है। इसमें बलराम जी, सुभद्रा जी और कृष्ण जी का रथ रहता है । तीनों के रथ का अपना अलग पहचान है।सब रथ का रंग और ऊंचाई अलग अलग है
सबसे आगे बलराम जी जिनके रथ को 'तालध्वज' कहते हैं। यह लाल और हरे रंग का होता है।जिसकी ऊंचाई 45फीट होती है।
देवी सुभद्रा जी बीच में ,जिनके रथ को 'दर्पदलन' या 'पद्मरथ' कहते हैं यह काला या नीला और लाल रंग का होता है।इसकी ऊंचाई 44.6 फीट होती है।
सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ जी का रथ जिसे 'नंदीघोष' या 'गरुरध्वज' कहते हैं ।यह लाल और पीला होता है।इसकी ऊंचाई 45.6 फीट होती है।
जगन्नाथ जी का वर्तमान मंदिर 800 साल से भी ज्यादा प्राचीन है।यह चार धामों में से एक है। कहा जाता है कि भगवान मौसी से मिलने 9 दिन के लिए जाते हैं। जहां अच्छा अच्छा खाना खा कर भगवान जगन्नाथ जी का तबीयत बिगड़ जाता है तब उनको पथ्य दिया जाता है जिसे खाकर भगवान ठीक होते हैं।
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