कन्या पूजन के समय इन बातों का ध्यान अवश्य रखें

         नवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है। नवरात्रि बिना कन्या पूजन के अधुरा माना‌ जाता है। आप पूजा नहीं भी कर‌ रहे नौ‌ दिन अगर कन्या पूजन कर लेते तो आपकी पूजा पूर्ण मानी जाती है। माता कन्या पूजन से प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद देती है। कन्या पुजन सप्तमी तिथि से ही शुरू हो जाता है, अष्टमी और नवमी तक कन्या पूजन करने का विधान है। जो कलश‌ स्थापना करते वो‌ नवमी के दिन हवन‌ कर‌ तब कन्या पूजन करते हैं।


    कन्या पुजन के साथ साथ वटुक भोजन भी कराना‌ चाहिए।कन्या को भोजन में चना, खीर, हलवा, मिठाई, चुड़ा-दही, फल देना चाहिए और फिर खोइंचा में अरवा चावल, दूब, हल्दी करना चाहिए। कन्या के पैर अच्छी तरह धोकर पोंछ कर अल्ता से पैर रंगना चाहिए। कन्या पूजन करते समय कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखें....

    * कन्या की उम्र - कन्या की उम्र 2 से बड़ा और 11 साल से कम होना चाहिए। क्योंकि आजकल बहुत सी कन्या 11 साल में पीरियड हो जाती है। फिर वो कन्या नहीं लड़की हो जाती है।
   * कन्या को भोजन के लिए एक दिन पहले कह‌ दें। उनको प्यार और आदर के साथ निमंत्रण दें।
    * कन्या को भोजन के बाद दक्षिणा अवश्य दें। उन्हें उपहार में कुछ सामान उनके पसंद का जरुर दे ंं।
    * लाल रंग का चुनर भी दें। लाल टीका करें उनको और प्यार से आसन दें। उनको डांटे नहीं।
    * कन्या ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌ हमेशा ‌‌‌‌‌‌‌विषम संख्या में पूजना‌ चाहिए।

      पुराणों के अनुसार दो साल की कन्या का पूजन करने से गरीबी दूर होती है। तीन साल की कन्या का पूजन करने से धन की प्राप्ति होती है।चार साल की कन्या का पूजन करने से अधुरी इच्छा पूरी होती है। पांच साल कन्या से रोग मुक्त परिवार रहता था। छह साल की कन्या के पूजने से राजयोग, विद्या मिलता है।सात साल की कन्या से ऐश्वर्य मिलता है। आठ साल की कन्या पूजन से वाद विवाद कोर्ट मुकदमा से जीत हासिल होती है।नौ साल की कन्या से शत्रु का नाश होता है। दस साल की उम्र से भक्तों की इच्छा पुरी होती है।


Post a Comment

0 Comments