चिकनपाक्स यानी छोटी माता, उसका कहर साल में दो बार होता है एक मार्च- अप्रैल में दुसरा सितंबर- अक्टुबर में। यह किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है।यह एक फैलने वाला बिमारी है बच्चे इसकी चपेट में ज्यादा आते हैं।इसका समय रहते इलाज न किया जाए तो जानलेवा साबित हो सकती है। यह साफ सफाई अच्छी तरह ना होने के कारण भी फैलता है। आजकल चिकेनपॉक्स का कहर बहुत बढ़ गया है आइए इसके बारे में विस्तार से जानें....
चिकेनपॉक्स या चेचक वेरीसेला जोस्टर नाम के वायरस के कारण फैलता है। इस वायरस के कारण पुरे शरीर में छोटी छोटी फुंसियां हो जाती है। पहले के जमाने में इसे माता का प्रकोप मानते थे, उन लोगों का कहना था कि माता किसी कारण रुष्ट हो गई जिस कारण ये महामारी फैला। पहले के जमाने में इतना दवा था नहीं जिस कारण गांव के गांव लोग इसके शिकार हो जाते थे और मर जाते थे। बाद में इसके वैक्सीन का ईजाद हुआ तो अब ना के बराबर लोग मरते। लेकिन अब ये छोटा रूप में आने लगा। पहले बड़ा बड़ा फोड़ा हो जाता था उसमें पीव भर जाता जो बहुत कष्टकारी था। अब इसका रुप छोटा हो गया लेकिन अभी भी इसमें कष्ट होता है।
चिकेनपॉक्स या चेचक वेरीसेला जोस्टर नाम के वायरस के कारण फैलता है। इस वायरस के कारण पुरे शरीर में छोटी छोटी फुंसियां हो जाती है। पहले के जमाने में इसे माता का प्रकोप मानते थे, उन लोगों का कहना था कि माता किसी कारण रुष्ट हो गई जिस कारण ये महामारी फैला। पहले के जमाने में इतना दवा था नहीं जिस कारण गांव के गांव लोग इसके शिकार हो जाते थे और मर जाते थे। बाद में इसके वैक्सीन का ईजाद हुआ तो अब ना के बराबर लोग मरते। लेकिन अब ये छोटा रूप में आने लगा। पहले बड़ा बड़ा फोड़ा हो जाता था उसमें पीव भर जाता जो बहुत कष्टकारी था। अब इसका रुप छोटा हो गया लेकिन अभी भी इसमें कष्ट होता है।
चिकेनपॉक्स के लक्षण ...
* यह एक फैलने वाला बिमारी है। इसके संक्रमण के एक दो दिन बाद लक्षण पता चलता है।
* शरीर में छोटे छोटे दाने हो जाते हैं। पेट और पीठ पर अत्यधिक मात्रा में होता है।
* स्किन में शुरू शुरू में खुजली बहुत होती है। फिर लाल लाल रेशैज हो जाते हैं। यह चेहरे से शुरू हो बाकी पुरे शरीर में फैलता है।
* यह हवा के माध्यम से ज्यादा फैलता है। खांसने से हवा में इसका वायरस फैल दुसरे के शरीर में तुरंत मिल जाता और उसको अपना शिकार बना लेता है।
* इसमें तेज बुखार, सर्दी, खांसी होने लगता है। शरीर में जलन भी होती है। बुखार 102° तक जा सकता है। उल्टी भी हो सकती है।
* फोड़ा में पीव भर जाता है। जो 7 दिन तक बना रहता है। उसके बाद सुखने लगता है लेकिन शरीर पर दाग छोड़ जाता है।
* दिल की धड़कन तेज होना, चक्कर आना, शरीर में अकड़न, छाले होना, घाव होना ये सब लक्षण हैं।
* किसी किसी को फोड़े मुंह के अंदर, आंख, गले, पेशाब पखाना के रास्ते में, मुंह के अंदर छाले हो जाते हैं।
* इसमें कभी कभी डायरिया या डिहाइड्रेशन हो जाता जो जानलेवा हो सकता है।
चिकेनपॉक्स के उपाचार....
* चिकेनपॉक्स अगर किसी को हो गया है तो उसे कुछ दिन घर से बाहर ना निकलने दें। यह बच्चों में तेजी से फैलता है स्कुल जाने वाले बच्चे की साफ सफाई पर ध्यान दें। अगर स्कूल में किसी बच्चे को चिकेनपॉक्स हो गया है तो कुछ दिन उन्हें स्कूल ना आने को कहे।
* छोटे बच्चों को इसका टीका अवश्य लगाएं। हर सरकारी अस्पताल या आंगनवाड़ी केन्द्रों पर उपलब्ध रहता है।
* नीम की पत्तियों को पीसकर उसका पेस्ट फोड़े पर लगा सकते हैं या फिर नीम के पत्तों को गर्म पानी में उबाल कर ठंडा होने पर नहा लें।
* एलोवेरा के जेल को फोड़े पर लगाने से ठंडक मिलती है।
* होम्योपैथी में इसका एक दवाई आता है इसे अप्रैल और सितंबर में एक खुराक लें।
मेरा ये पोस्ट आपको कैसा लगा हमें कमेंट कर अवश्य बताएं।और किस तरह के पोस्ट पढ़ना चाहते हैं हमें बताएं आपको पुरी जानकारी मिलेगी। अपना ईमेल आईडी डाल हमें सब्सक्राइब करें...
* छोटे बच्चों को इसका टीका अवश्य लगाएं। हर सरकारी अस्पताल या आंगनवाड़ी केन्द्रों पर उपलब्ध रहता है।
* नीम की पत्तियों को पीसकर उसका पेस्ट फोड़े पर लगा सकते हैं या फिर नीम के पत्तों को गर्म पानी में उबाल कर ठंडा होने पर नहा लें।
* एलोवेरा के जेल को फोड़े पर लगाने से ठंडक मिलती है।
* होम्योपैथी में इसका एक दवाई आता है इसे अप्रैल और सितंबर में एक खुराक लें।
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