नवरात्रि के दूसरा दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा

      आज नवरात्रि का दूसरा दिन है। आज के दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। इनकी‌ पूजा से तप,त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है। इनकी पूजा करने से मंगल ग्रह से संबंधित दिक्कत दूर होती है। आज माता को उनका पसंदीदा भोग अर्पित करना चाहिए। इनका पसंदीदा भोग शक्कर है, इससे परिवार के सदस्यों की उम्र में भी वृद्धि होती है।

     ब्रह्मचारिणी का अर्थ है तप का आचरण करने वाली। इनके एक हाथ में तप की माला और दूसरे में कमंडल होती है। छात्र और तपस्या करने वालों के लिए इनकी पूजा बहुत फलदाई होती है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से चंद्रमा मजबूत होता है।

    एक कथा के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी पूर्वजन्म में पर्वतराज हिमालय के घर जन्म ली थी। वो माता सती ही थी जो अग्निकुंड में भस्म हो गए थे। वो इस जन्म में भी भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करना चाहती थी। नारद जी ने भी इनको कहा तो ये भगवान शिव को पाने के लिए घोर तपस्या करने जंगल में चली गई। हजारों साल तक देवी ने कड़ी तपस्या की और अन्न त्याग कर जंगल के फूल और बिल्व पत्र खाएं। कुछ समय बाद वो सब भी खाना छोड़ निर्जल और निराहार रहने लगी। फिर सारे देवी-देवताओं और ऋषि मुनि उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव से विवाह करने का वरदान दिया।

मां ब्रह्मचारिणी

    मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से विवाह में विलम्ब होने वालों के लिए भी फायदेमंद होता है। मां ब्रह्मचारिणी का पूजा विधि-
    देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा पहले स्नान ध्यान करें। फिर पूजा स्थल को भी शुद्ध कर लें। फिर फूल, अक्षत, रोली चंदन, तिल से पूजा करें। फिर दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से स्नान कराएं। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय हाथ में फूल लेकर ध्यान करें। इस मंत्र को पढ़ें...
        दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
        देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥


  या देवी सर्वभू‍तेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

   फिर माता की कपूर से आरती करें।




 


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