यज्ञ, हवन का महत्व और लाभ जानें

     पहले के जमाने में पूजा, हवन, यज्ञ बहुत होते थे। आए दिन कहीं न कहीं, किसी न किसी गांव में यज्ञ आहुति, अष्टयाम, नवाह कुछ न कुछ होता था। हमको याद है जब हम लोग छोटे थे आश्विन मास के पहले पक्ष श्राद्ध का खत्म होता कि दुर्गा पूजा शुरू होते ही सबसे पहले सुबह से ही घर में हवन के धुंए की सुंगध फैलने लगती। 10 दिन हमारा घर बिल्कुल शुद्ध और सुगंधित, वातावरण में एक अलग तरह का उमंग रहता। फिर कार्तिक मास शुरू होता।

    कार्तिक मास में सुबह सुबह पुरे गांव में नगर कीर्तन कर घुमते थे। मन और वातावरण भी भजन कीर्तन से शुद्ध हो जाता। फिर जैसे अघहन, पूस मास आता नवाह, या अष्टजाम शुरू। रामधुनी होते रहती फिर हवन होता। आज अपने गांव तो कल उस गांव चलते रहता। लेकिन अब ये सब बहुत कम हो गया, जब हवन होता था वातावरण शुद्ध रहता बीमारी भी कम होती, आजकल बीमारी भी बढ़ गई,और हवन भी कम हो गया।

   वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो हवन से निकलने वाले आग और हवन सामग्री जो उसमें डाला जाता है उससे वातावरण के कीटाणु और विषाणु को खत्म करती है।यह प्रदूषण भी कम करता है। इसकी सुंगध और ताप शरीर का थकान दूर कर मन शांत रखता है।


    हवन में आहुति देने वाले सामान जैसे गाय के गोबर से बने उपले, जिसे घी में डाल हवन‌ देते हैं उससे वातावरण के 94% कीटाणुओं मर जाते हैं। इसलिए घर की शुद्धि और सेहत के लिए हवन जरुरी है। आहुति में पड़ने वाले आम की लकड़ी और गुड़ के जलने से जो धुआं उत्पन्न होती वो भी‌ वााावरण शुद्ध रखने में मदद करता है। हवन में बोले जाने वाले मंत्र जहां तक मंत्र का आवाज जाता है वहां तक सकरात्मक ऊर्जा का एक लेयर बन जाता है।

    आधा घंटा अगर हम हवन में बैठे तो टायफाइड जैसे बिमारी खत्म हो जाती है। कुछ लोग कहते हैं ‌‌‌‌‌हवन में फालतू में घी,‌ अनाज बर्बाद होता है लेकिन हमारे ऋषि मुनि अज्ञानी नहीं थे उन्होंने कुछ सोच कर ही ये यज्ञ, हवन‌ किया होगा। अगर किसी को बुखार, खांसी, पेट दर्द जैसी समस्या तो‌ तो एक चुटकी भभूत सुबह-शाम एक गिलास पानी के साथ ले। ठीक हो जाएगा।

    हवन में आहुति पड़ने वाले जौ, तिल, घी, बहुत प्रकार‌ की लकड़ी जो पड़ती है ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌ सभी‌ जड़ी‌ बुटी होती है। जब सब‌ जलकर भभूत बनता है तो इसमें सारे मौजूद गूण इसी में रहते हैं,जिसका सेवन‌ हमें लाभ पहुंचाता।‌ कभी कोई ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌ कीड़ा ‌‌‌‌‌काट लेता है तो हम किसी मंदिर के भभूत लगा देते ठीक‌ हो जाता, क्यों‌ इसका कारण हवन‌‌ ही है।
    

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