अयोध्या की भगवान राम की होली

   वृंदावन, बरसाने के जैसे ही भगवान राम की नगरी अयोध्या में होली मनमोहक होती है। यहां होली में रंग गुलाल से सराबोर रहती है पुरी नगरी.. अयोध्या में एकादशी से ही होली शुरू हो जाती है। इसलिए इसको रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन का यहां बहुत महत्व है। इस दिन सभी साधु महात्मा और लोगों का जुलूस निकलता है। जो पहले हनुमानगढ़ी जाते हैं। वहां से हनुमान जी की छड़ी और पवित्र निशान की पुुुजा वंदना करते हैं।

   उसी प्रांगण में जम कर होली खेलते हैं। फिर पवित्र निशान और छड़ी के साथ पंचकोसी परिक्रमा करते हैं। पुरे रास्ते झुमते गाते, रंग उड़ाते एक दूसरे को गुलाल लगाते पुरी यात्रा कर भगवान को न्योता देते हैं होली खेलने के लिए।इसके बाद चार दिनों तक खुब होली सब खेलते हैं।

    भगवान राम से जुड़ी होली मनाने की परंपरा

  पौराणिक कथा के अनुसार भगवान राम के पुर्वज महाराजा रघु के समय एक राक्षसी बहुत उपद्रव मचाई हुई थी।पुरा राज्य उससे त्रस्त था। महाराज रघु ने इस राक्षसी के निवारण के लिए गुरु वशिष्ठ के पास गये। गुरु वशिष्ठ ने महाराज रघु से कहा कि चौक चौराहे पर लकड़ियां और घास भूसे को जलाने से उस राक्षसी का अंत खुद हो जाएगा। गुरु की सलाह पर पुरे नगर में हर चौक चौराहे पर लकड़ियां एकत्र कर युवाओं ने दहन किया और इस प्रकार राक्षसी का अंत हुआ। तब से होलिका दहन की परंपरा प्रारंभ हुई।

   भगवान राम की होली गीत..

    इस अवसर पर होली के फगुआ गीत गांवों मुहल्ले में गाया जाता है। जोगीरा सारा..रा...रा..रा.., होली खेले रघुवीरा अवध में होली खेले ... रंग में ये रंग में ये, सारे नगर भिंज रहे रंग में..राम लक्ष्मण दोनों ही होली खेले, सीता वाके संग में...सिया निकले अवध की ओर होली खेले राम... 



    




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